आगरा (पिनाहट) । समय के साथ किसान भी नए प्रयोग करने में जुट गए हैं। पिनाहट ब्लॉक क्षेत्र के किसान अब पारंपरिक खेती के साथ-साथ नई फसलों में भी बेहतर आय के स्रोत ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं।
क्षेत्र के गांव बांकेलाल के किसान किशन बाबू श्रीवास्तव ने एक अनोखा प्रयोग किया है। उन्होंने इस बार अपने पांच बीघा खेत में हल्दी की फसल उगाई है। किशन बाबू पहले आलू, गेहूं और बाजरा जैसी पारंपरिक फसलों की खेती करते थे, लेकिन इस बार उन्होंने हल्दी की खेती करने का फैसला किया और इसे सफलतापूर्वक अंजाम भी दिया है।
किशन बाबू का कहना है, “यह अभी शुरुआत है। अगर इस बार के नतीजे अच्छे रहे तो मैं हल्दी की खेती के रकबे को और बढ़ाऊंगा।”
हल्दी की पौध का रोपण जून में किया जाता है, जबकि इसकी खुदाई नवंबर में शुरू होती है। इस साल, किशन बाबू को प्रति बीघा 12 से 14 कुंटल हल्दी की पैदावार होने की उम्मीद है। कच्ची हल्दी की बाजार में कीमत लगभग 3500 से 4000 रुपये प्रति कुंटल होती है। इसे भट्टी में पकाने के बाद, इसकी कीमत लगभग 12,000 रुपये प्रति कुंटल तक पहुँच जाती है।
किशन बाबू का यह प्रयोग आसपास के गांवों के किसानों के लिए एक मिसाल बन रहा है। अन्य किसान उनकी इस पहल पर नजर बनाए हुए हैं, ताकि वे भी जान सकें कि हल्दी की खेती से किशन बाबू को क्या लाभ होता है।
इस प्रकार, पिनाहट के किसान न केवल परंपरागत खेती को आगे बढ़ा रहे हैं, बल्कि नए कृषि तरीकों को अपनाकर अपनी आय को भी बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे प्रयासों से उम्मीद है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र में और अधिक नवाचार होंगे।