बिचपुरी चौकी प्रभारी की भूमिका पर सवाल, ग्राम प्रधान को धमकी के मामले में तीन दिन तक कार्रवाई शून्य
अग्र भारत संवाददाता
आगरा।जनपद के थाना जगदीशपुरा क्षेत्र की बिचपुरी पुलिस चौकी एक बार फिर सवालों के घेरे में है। गांव में फैल रहे अवैध नशा कारोबार के खिलाफ आवाज उठाना बिचपुरी ग्राम प्रधान प्रदीप चौधरी को महंगा पड़ गया। प्रधान को खुलेआम जान से मारने की धमकी दी गई, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि शिकायत के बावजूद स्थानीय पुलिस ने न तो त्वरित कार्रवाई की और न ही पीड़ित की पीड़ा को गंभीरता से सुना है।पीड़ित ने पुलिस के उच्च अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया है।
ग्राम प्रधान प्रदीप चौधरी ने शनिवार को सहायक पुलिस आयुक्त लोहामंडी को दी गई लिखित शिकायत में बताया कि 11 दिसंबर की रात करीब नौ बजे एक बाइक पर सवार तीन युवक उनके घर पहुंचे। यह पूरी घटना घर पर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद है। आरोप है कि उनमें से एक युवक के पास अवैध तमंचा भी था। उस समय प्रधान एक शादी समारोह में गए हुए थे। दरवाजा उनकी पत्नी ने खोला, जहां पहले युवकों ने नशे का सामान मांगते हुए अभद्र भाषा का प्रयोग किया और फिर प्रधान के बारे में पूछताछ की। प्रधान के घर पर न मिलने पर धमकी दी गई कि “सरदार के खिलाफ बोलना बंद करा दो, नहीं तो जान से हाथ धोना पड़ेगा।बताया जा रहा है कि सरदार सिंह वही व्यक्ति है, जिसके खिलाफ कुछ दिन पहले ग्राम प्रधान ने अवैध नशा बिक्री और अवैध निर्माण की शिकायत की थी। आरोप है कि शिकायतों के बावजूद पुलिस द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिसके बाद प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत उसके अवैध निर्माण पर बुलडोजर की कार्रवाई कराई गई थी। इसी से नाराज होकर धमकी दिए जाने की बात सामने आ रही है।मामला तब और गंभीर हो गया जब प्रधान द्वारा बिचपुरी पुलिस चौकी पर शिकायत देने के बावजूद उप निरीक्षक सौरभ सिंह ने न तो मुकदमा दर्ज किया और न ही किसी प्रकार की जांच शुरू की। उल्टा प्रधान को ही संदिग्ध बताते हुए शिकायत को हल्के में टाल दिया गया। तीन दिन बीत जाने के बाद भी जब कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई तो चौकी पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए।अंततः ग्राम प्रधान प्रदीप चौधरी ने थाना सर्किल क्षेत्र प्रभारी लोहामंडी सहायक पुलिस आयुक्त से मुलाकात कर पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। एसीपी ने मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि ही खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है और उसकी शिकायत पर चौकी स्तर पर अनदेखी की जा रही है, तो आम नागरिक की सुनवाई कैसे होगी। बिचपुरी चौकी प्रभारी की भूमिका की निष्पक्ष जांच और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग तेज हो गई है।
