आगरा में न्यू विजयनगर कॉलोनी में बिना अनुमति छायादार पेड़ काटने के मामले ने वन विभाग की निष्क्रियता को उजागर किया। पर्यावरण के प्रति बढ़ते खतरे और धनाढ्य वर्ग की आरी से पेड़ कटने की घटनाएं चिंताजनक हैं।
वन विभाग ने डेढ़ दशक पहले लगाए थे पौधे, पर्यावरण के दुश्मन बढ़ा रहे समस्या
आगरा। पर्यावरण संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों को शहर के कुछ धनाढ्य वर्ग द्वारा लगातार पलीता लगाए जाने का एक और उदाहरण सामने आया है। प्रदेश सरकार द्वारा पर्यावरण को समृद्ध बनाने और पौधारोपण को बढ़ावा देने के लिए लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन कुछ धनाढ्य लोग इस प्रयास को न केवल नजरअंदाज कर रहे हैं, बल्कि बड़े पैमाने पर लगाए गए हरे-भरे पेड़ों को बेरहमी से काट रहे हैं। इन लोगों के खिलाफ वन विभाग का प्रयास भी अब तक नाकाम साबित हो रहा है, जिससे उनका हौसला और बढ़ गया है।
ताजा मामला थाना हरीपर्वत क्षेत्र के अंतर्गत न्यू विजयनगर कॉलोनी का है, जहां वन विभाग ने लगभग डेढ़ दशक पहले सड़क के किनारे छायादार पौधों को लगाने का अभियान चलाया था। इसका उद्देश्य पर्यावरण को बेहतर बनाना और बढ़ते प्रदूषण से राहत देना था। इसके अलावा, तपती गर्मी में वहां से गुजरने वाले लोगों को छांव का लाभ भी मिल सके, खासकर राजगीरों और बुजुर्गों को। इस अभियान के तहत लगाए गए पौधे अब बड़े-बड़े छायादार पेड़ों में तब्दील हो चुके हैं, लेकिन यह पेड़ अब कुछ धनाढ्य लोगों को परेशान कर रहे हैं।
न्यू विजयनगर कॉलोनी में शनिवार को कोठी नंबर 184 के मालिक राजीव गुप्ता और उनकी पत्नी ने बिना वन विभाग से अनुमति लिए अपने घर के सामने खड़े विशाल छायादार पेड़ को कटवा दिया। इस घटना के बाद क्षेत्र के निवासियों ने वन विभाग को सूचित किया और डीएफओ को शिकायत की। वन विभाग के फॉरेस्टर, टीकम सिंह मौके पर पहुंचे और आरोपी से पेड़ काटने का कारण पूछा। लेकिन टीकम सिंह के अनुसार, आरोपी की पत्नी ने उनसे जबरदस्त बहस की और उन्हें धमकाया। चूंकि मामला एक महिला से जुड़ा था, इसलिए उन्होंने वहां से चले जाने में ही अपनी भलाई समझी।
यह पहली बार नहीं है जब न्यू विजयनगर कॉलोनी में बिना अनुमति पेड़ काटे गए हैं। इससे पहले भी कोठी नंबर 184 के मालिकों ने सड़क के किनारे खड़े नीम के दो विशाल पेड़ों को छटनी के नाम पर काट दिया था, लेकिन वन विभाग ने इस मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं की थी। यदि समय रहते कार्रवाई की जाती तो शनिवार को यह छायादार पेड़ काटने की घटना न होती।
वन विभाग के प्रयासों की कमी और पर्यावरण पर खतरा
न्यू विजयनगर कॉलोनी में पेड़ काटने की यह घटना वन विभाग की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार को उजागर करती है। हालांकि वन विभाग पेड़ काटने के खिलाफ कड़े नियमों का पालन करता है, लेकिन कई मामलों में यह विभाग दबाव में आकर आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं कर पाता। इसका परिणाम यह होता है कि पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में लगे लाखों रुपये का निवेश बेकार चला जाता है और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई जारी रहती है।
यह घटना आगरा शहर में पर्यावरण को बचाने के लिए की जा रही पहल के प्रति गंभीर सवाल खड़े करती है। अगर इन धनाढ्य वर्ग के लोगों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती है तो इस तरह की घटनाएं और बढ़ सकती हैं। इस पर तुरंत कार्यवाही की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो और शहर के पर्यावरण को बचाया जा सके।
वन विभाग को चाहिए कि वह अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करे और ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करें। इसके साथ ही लोगों को पर्यावरण के महत्व के प्रति जागरूक करना भी बेहद जरूरी है, ताकि वे पेड़ों की कटाई से बचें और पर्यावरण की रक्षा में सहयोग करें।