आगरा: पूर्व सैनिकों के न्याय व सम्मान के लिए शहीद स्मारक पर चल रहे धरने का आज 30 वें दिन अंत हो गया। यह धरना 9 दिसम्बर से शुरू हुआ था, जब पूर्व सैनिकों ने प्रशासन से 5 प्रमुख मांगों को लेकर प्रदर्शन शुरू किया था। अब जाकर प्रशासन ने इन मांगों को मंजूरी दी है और धरने को समाप्त करने की अपील की।
धरना स्थल पर समाधान पत्र सौंपा गया
अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) धीरेन्द्र सिंह ने धरना स्थल पर पहुंचकर पूर्व सैनिकों की मांगों का समाधान पत्र सौंपा और उन्हें धरना समाप्त करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने उनकी मांगों को गंभीरता से लिया है और सभी मुद्दों का समाधान जल्द ही किया जाएगा।
पूर्व सैनिक पुनर्वास अधिकारी का समर्थन
इस दौरान पूर्व सैनिक पुनर्वास एवं कल्याण अधिकारी कमांडर सुनील तालयान भी धरना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने पूर्व सैनिकों की मांगों को मान लिया है और उनका संघर्ष सराहनीय है। साथ ही उन्होंने कड़ाके की ठंड के बावजूद धरने पर बैठे पूर्व सैनिकों से धरना खत्म करने का आग्रह किया।
5 सूत्रीय मांगों की स्वीकृति
पूर्व सैनिक संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष कैप्टन महेश चाहर ने कहा, “प्रशासन ने हमारी 5 सूत्रीय मांगों को न केवल माना बल्कि पूर्व सैनिक कुंज बिहारी की विधवा पत्नी को न्याय देने के लिए भी प्रशासन की सक्रियता काबिले तारीफ है।” उन्होंने आगरा के जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी और पुलिस कमिश्नर रविन्द्र गौड़ का दिल से धन्यवाद किया।
धरने में शामिल सैनिकों की समस्याएं हल होंगी
प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि भविष्य में पूर्व सैनिकों की समस्याओं का त्वरित समाधान किया जाएगा। खासकर, सैनिकों को हथियारों की NOC प्राप्त करने के लिए अब जम्मू जाने की आवश्यकता नहीं होगी। जिला प्रशासन द्वारा जल्द NOC प्रदान की जाएगी और यदि निर्धारित समय सीमा में NOC प्राप्त नहीं होती, तो संबंधित जिलाधिकारी से बातचीत कर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।
पूर्व सैनिकों का संघर्ष रंग लाया
धरने के दौरान संगठन मंत्री भोज कुमार फौजी ने कहा, “यह जीत पूर्व सैनिकों के सक्रियता, संघर्ष और समर्पण का परिणाम है।” उन्होंने इस संघर्ष में भाग लेने वाले सभी पूर्व सैनिकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि आज हम सबकी मेहनत का फल है कि हमारी इज्जत बढ़ी है और हमारे अधिकारों को मान्यता मिली है।
संगठन का समर्थन और प्रशासन का आश्वासन
धरने में शामिल हुए अन्य पूर्व सैनिकों में प्रताप चाहर, हाकिम सिंह, तेजवीर, वीरेंद्र सिंह, लखेंद्र सिंह, एडवोकेट तुलसीराम, सुदामा छौंकर, बच्चू छौंकर, बाबूलाल सोलंकी, प्रेम सिंह, सुरेंद्र चाहर, MWO सुरेंद्र सिंह, मुकेश शर्मा, सुरेश बाबू, राजेन्द्र चाहर, पहलवान हरेंद्र नौहवार, जगवीर सोगरवाल, भवानी सिंह, राजन सिंह, नेत्रपाल सिंह, रामबाबू शर्मा, डी के दास आदि प्रमुख थे।
पूर्व सैनिकों का यह संघर्ष इस बात का प्रतीक है कि जब तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया जाता है, तब तक सफलता मिलती है। प्रशासन द्वारा उनकी मांगे मानी जाने से यह साबित हो गया कि पूर्व सैनिकों के सम्मान और न्याय के लिए प्रशासन गंभीर है और अब उनकी समस्याओं का समाधान त्वरित किया जाएगा।