आगरा: ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) में उटंगन और खारी नदियों का जल स्तर शून्य हो गया है, जिससे क्षेत्र में जल संकट गहरा गया है। राजस्थान सरकार की जल प्रबंधन नीतियों के कारण इन नदियों की भंडारण संरचनाएं भी निष्प्रयोज्य हो गई हैं।
टीटीजेड क्षेत्र में जल संकट
ताज ट्रिपेजियम जोन प्राधिकरण (टीटीजेडए) के तहत भरतपुर का केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी अभयारण्य और उसके आसपास का क्षेत्र भी आता है। हालांकि, राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित इस निकाय और अंतरराज्यीय जल स्रोतों के प्रबंधन संबंधी नीति को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है।
नदियों की जल शून्यता
राजस्थान सिंचाई विभाग द्वारा बनाई गई जल प्रबंधन योजनाओं के कारण आगरा जिले की उटंगन और खारी नदियां जलविहीन हो गई हैं। इन नदियों का पूरा पानी उनकी भंडारण संरचनाओं, खनुआ बांध और तेरह मोरी तक पहुंचने से रोक दिया गया है।
सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा का आकलन
सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा के सचिव अनिल शर्मा ने सदस्यों राजीव सक्सेना, डावर गांव के पूर्व प्रधान धर्म सिंह मौहरा और पर्यावरण फोटोग्राफी के लिए प्रसिद्ध फोटोग्राफर ललित राजौरा के साथ फतेहपुर सीकरी क्षेत्र की जल संरचनाओं का दौरा किया। उन्होंने टीटीजेड के तहत आने वाले बड़े क्षेत्र में जल स्तर में सुधार के उपायों का आकलन किया, जिससे गांवों में एक दशक से बंद पड़े हैंडपंप फिर से चालू हो सकें।
भ्रामक प्रचार
खारी और उटंगन नदियों की जल शून्यता के मुद्दे को अक्सर मानसून कालीन बताकर दबा दिया जाता है। जबकि ये नदियां नियमित रूप से जल से भरी रहती थीं और विंध्य पर्वतमाला की करौली जिले (राजस्थान) की जलधाराओं से पोषित होती थीं। दो दशक पहले तक, मई-जून में भी इनमें पानी की कमी नहीं होती थी।
राजस्थान सरकार की नीति
भरतपुर सिंचाई विभाग ने इन नदियों के हेड जलाशयों, खनुआ बांध और तेरह मोरी बांध तक पहुंचने वाले पानी को भारत सरकार की जल प्रबंधन में राज्यों की सहभागिता नीति को नजरअंदाज करते हुए रोक दिया है। इस पानी को राजस्थान सरकार के सिंचाई विभाग ने अपस्ट्रीम में ही मोड़ दिया है, जिससे आगरा जिले के फतेहपुर सीकरी, अकोला, शमशाबाद, फतेहाबाद, जगनेर, खेरागढ़, पिनाहट और बाह विकास खंडों के जलभित्ति तंत्र जलविहीन हो गए हैं। पिछले 7-8 वर्षों से गांवों में हैंडपंप का उपयोग बंद हो गया है।
बांधों की स्थिति
उटंगन नदी का पानी राजस्थान में बाबन मोरा (खनुआ बांध) और हिंडौन (करौली जिले) में बने पांचना बांध में रोक दिया गया है। जबकि खारी नदी का पानी भरतपुर के अजान बांध में रोक दिया गया है। फतेहपुर सीकरी की पहाड़ियों के बीच से होकर तेरह मोरी बांध जलाशय को भरने वाली खारी नदी का पानी भी बृजेंद्र सिंह मोरी के गेट ग्रिल नेट लगाकर सील कर दिया गया है।
राणा सांगा स्मारक की परिकल्पना के विपरीत
राणा सांगा स्मारक खनुआ बांध की पृष्ठभूमि में बनाया गया था। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा था कि खनुआ बांध का पानी पर्यटकों के लिए आकर्षण होगा, लेकिन यह बांध एक दशक से अधिक समय से सूखा है।
खनुआ बांध से पर्यावरण सुधार
फतेहपुर सीकरी विकास खंड के डावर गांव के पूर्व प्रधान धर्म सिंह मोहुरा का कहना है कि खनुआ बांध के डिस्चार्ज से उटंगन नदी के प्रवाह में योगदान होता था और राजस्थान से आने वाली धूल भरी आंधियों को भी रोका जा सकता था।
उत्तर प्रदेश के अधिकारों की अनदेखी
उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्थान सरकार द्वारा अंतरराज्यीय नदियों के जल उपयोग में साझेदारी की नीति की अनदेखी का विरोध नहीं किया है और न ही अपने अधिकारों की मांग की है। सिंचाई विभाग ने उटंगन और खारी नदियों में पानी की कमी से संबंधित आधिकारिक दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं कराए हैं।
टीटीजेड क्षेत्र की महत्वपूर्ण जल संरचनाएं
खनुआ और तेरह मोरी बांध टीटीजेड प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र की महत्वपूर्ण जल प्रबंधन और जल संचय संरचनाएं हैं। राजस्थान सरकार ने इन बांधों को जलविहीन करने की योजनाएं टीटीजेड प्राधिकरण की अनुमति के बिना ही लागू कर दी हैं। नदियों और बांधों में जल शून्यता से ताजमहल के आसपास के पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और धूल के कणों की मात्रा भी बढ़ी है।
भंडारण क्षमता में कमी
घना पक्षी विहार का प्रबंधन वेटलैंड अवधारणा पर शुरू होने के बाद से जलाशयों की जल भंडारण क्षमता कम हो गई है और साल भर पानी की मांग बनी रहती है। इससे आगरा को मानसून में भी पानी नहीं मिल पाता है। गोवर्धन ड्रेन का 350 एमसीएफटी पानी भी घना पक्षी अभयारण्य में मोड़ दिया गया है।
ड्रोन मैपिंग साक्ष्य
सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा के सचिव अनिल शर्मा ने कहा कि फोटोग्राफर ललित राजौरा द्वारा की गई ड्रोन मैपिंग महत्वपूर्ण साक्ष्य है। इसकी प्रति जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया और जिलाधिकारी आगरा को सौंपी जाएगी।