12 युवकों में अब तक 11 के शव बरामद, हरीश अभी भी लापता
आगरा। खेरागढ़ की उटंगन नदी में हुए दर्दनाक हादसे को अवैध खनन का नतीजा माना जा रहा है। खनन के कारण बनी गहराइयों ने गांव कुसियापुर की 12 जिंदगियों को निगल लिया और पूरे क्षेत्र में मातम छा गया। दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान डूबे युवकों में से मंगलवार सुबह तीन और शव बरामद किए गए, जबकि एक युवक अभी तक लापता हैं। अब तक छह मीटर के दायरे से 11 शव निकाले जा चुके हैं।
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने जब पहली बार 30 फीट लंबी सरिया से गहराई का आंकलन किया, तो वह भी छोटी पड़ गई। जांच में पाया गया कि खनन के चलते लगभग 30 फीट गहरा और छह मीटर चौड़ा गड्ढा बना था, जो 12 युवकों की जान लेने वाला भंवर साबित हुआ।नदी के अधिकांश हिस्से में सामान्यत तीन फीट से अधिक पानी नहीं है, लेकिन घटना स्थल पर नदी में अवैध खनन ने कई जगहों पर नदी तल को खतरनाक गहराइयों में बदल दिया है। मंगलवार सुबह रेस्क्यू टीम ने सबसे पहले सचिन उर्फ महावीर पुत्र रामवीर का शव निकाला, कुछ देर बाद दीपक का शव भी बरामद किया गया। करीब तीन बजे गजेंद्र शव मिलने की सूचना के बाद परिजनों में कोहराम मच गया और पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया। तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।दुर्घटना स्थल के सामने लगभग काफी चौड़ा कच्चा रास्ता है, जिसका उपयोग खनन माफिया वर्षों से रेत की ढुलाई के लिए करते रहे हैं। यह रास्ता अवैध खनन की बानगी साफ तौर पर दिखाता है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, युवक जब मूर्ति विसर्जन के लिए नदी में थोड़ा आगे बढ़े, तो अचानक एक युवक का पैर गहरे गड्ढे में चला गया और देखते ही देखते सभी युवक उस खाई जैसी गहराई में समा गए।हादसे में जिन युवकों के शव बाद में मिले, उनमें अभिषेक, भगवती, वीनेश और ओकेश ,सचिन,गजेन्द्,दीपक शामिल हैं। उनके शव मिट्टी की परतों के नीचे दबे हुए मिले। बचाव अभियान में एनडीआरएफ की 60 सदस्यीय टीम और सेना की 411 पैरा फील्ड यूनिट के 19 जवान लगातार जुटे हैं। जवानों ने दोहरे कंप्रेशर की विधि से लगभग 20 फीट नीचे तक मिट्टी की खुदाई कर शवों की तलाश जारी रखी है।सांसद राजकुमार चाहर ने घटनास्थल पर पहुंचकर कहा कि “अगर नदी में खनन से बना यह गड्ढा न होता तो यह दर्दनाक हादसा नहीं होता। उटंगन नदी में सामान्य रूप से इतना गहरा पानी नहीं रहता। यह हादसा खनन माफियाओं की देन है।”
खुलासा करने वाला विष्णु बना गवाह
हादसे में बचे एकमात्र युवक विष्णु ने सीन रीक्रिएट के दौरान एनडीआरएफ और सेना के अधिकारियों को बताया कि वह अपने साथियों के साथ एक फीट गहरे पानी में मूर्ति रख रहे थे, तभी पैर अचानक नीचे चला गया। लगभग 30 फीट के आसपास गहराई वाला गड्ढा था, जो खनन के कारण बना था।एनडीआरएफ निरीक्षक टीम के सदस्य ने बताया कि “जहां हादसा हुआ, वहां 30 फुट गहरा गड्ढा है, जबकि उसके आसपास भी 15 फीट तक गहरे कई अन्य गड्ढे हैं। यह सब अवैध खनन का परिणाम है।”इस भीषण हादसे ने न केवल 12 परिवारों को उजाड़ दिया, बल्कि यह भी उजागर कर दिया कि प्रशासन की अनदेखी और खनन माफियाओं की मनमानी ने किस तरह एक शांत बहती नदी को मौत का कुआं बना डाला।