आगरा: चार महीने में भी नहीं मिली अगवा नाबालिग, पीड़ित परिजन पुलिस कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर, पुलिस आयुक्त से चार बार मिल चुका पीड़ित परिवार, एसीपी बोले – “फोन ऑन होगा तो खोज लेंगे”

Jagannath Prasad
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थाना जगनेर पुलिस व सहायक पुलिस आयुक्त के ‘अभयदान’ से पीड़ित को नहीं मिला न्याय

आगरा। हाईटेक सिस्टम और कमिश्नरेट व्यवस्था की दुहाई देने वाली आगरा पुलिस की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। थाना जगनेर क्षेत्र से 28 फरवरी 2025 को अगवा की गई नाबालिग युवती सोहनी पुत्री पूजा की बरामदगी अब तक नहीं हो सकी है। पीड़ित परिवार चार महीनों में चार बार पुलिस आयुक्त से गुहार लगा चुका है, लेकिन नतीजा अब तक शून्य ही रहा है।

पुलिस आयुक्त से मिलने के दौरान काटी गई शिल्प,और शिकायत

पीड़ित पिता ने बताया कि उनकी नाबालिग बेटी को सरेंधी गांव निवासी अमन उस्मानी पुत्र असीम खान ने अपने परिजनों के साथ मिलकर बहला-फुसलाकर अगवा कर लिया। आरोप है कि आरोपी युवती को नगदी और जेवरात सहित अपने साथ ले गया।लेकिन जब परिजन बेटी के अगवा होने की शिकायत लेकर थाना जगनेर पहुंचे तो पुलिस ने बेटी को बालिग बताकर रिपोर्ट दर्ज करने से इनकार कर दिया। बाद में जब मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तब कहीं जाकर मुकदमा दर्ज किया गया। उस दौरान भी थाने में तहरीर बदलवाने के गंभीर आरोप लगे, जिसकी शिकायत पुलिस आयुक्त से की गई, परंतु कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी।सबसे गंभीर आरोप एसीपी खेरागढ़ इमरान खान पर लगे हैं।

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एसीपी खैरागढ़ के गैर जिम्मेदार बयान व घटना की जानकारी देते पीड़ित परिजन

परिजनों का कहना है कि आरोपी के विशेष समुदाय से होने के चलते एसीपी पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं। उनका कथित बयान – “आरोपी का फोन स्विच ऑफ है, ऑन होगा तो तलाश लेंगे”, पीड़ितों के घाव पर नमक छिड़कने जैसा है।चार महीनों में चार बार पुलिस आयुक्त कार्यालय की परिक्रमा करने के बावजूद नाबालिग बेटी की सकुशल वापसी तो दूर, कोई ठोस सुराग भी नहीं मिला है। सवाल यह है कि जब हाइटेक निगरानी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दम भरने वाली पुलिस एक मासूम बच्ची को नहीं खोज पा रही, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की क्या गारंटी है?पीड़ित परिजन अब भी न्याय की आस में दर-दर भटक रहे हैं, और पुलिस महकमा चुप्पी की चादर ओढ़े बैठा है।

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