बेसिक शिक्षा विभाग के कनिष्ठ बाबू के फर्जीवाड़ों की शिकायत पीएमओ तक पहुंची
केंद्रीय राज्यमंत्री के संलग्न पत्र के साथ विभिन्न गंभीर बिंदुओं पर हुई शिकायत में कड़ी कार्रवाई की मांग
आगरा। जनपद आगरा के बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं की पोल लगातार खुलती जा रही है। निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए नियमों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। जिनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, उन्हें इनाम मिल रहे हैं। प्रदेश सरकार की “भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस” की नीति आगरा में दम तोड़ती नजर आ रही है।
बता दें कि बेसिक शिक्षा विभाग के आगरा मुख्यालय पर बीते दिनों तक नियम विरुद्ध तरीके से तैनात एक कनिष्ठ बाबू के खिलाफ केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. एस.पी. सिंह बघेल के संलग्न पत्र सहित पीएमओ, जिलाधिकारी आगरा और अन्य उच्च स्तरों पर गंभीर शिकायत की गई।
शिकायत सामने आने पर आनन-फानन में उक्त बाबू को डीसी ट्रेनिंग और मुख्यालय पर महत्वपूर्ण पदों से हटाकर नगर क्षेत्र कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया। वहीं शिकायतकर्ता ने पुख्ता साक्ष्यों के साथ आरोप लगाया है कि उक्त बाबू की विभाग में नियुक्ति ही संदिग्ध है। मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाने के समय विभाग में कोई पद रिक्त नहीं था, फिर भी पहली पत्नी की मृत्यु के आधार पर, जबकि दूसरी पत्नी जीवित थी, उसने नियुक्ति प्राप्त कर ली। भ्रष्टाचार की यह कहानी लगभग एक दशक तक चली। इस दौरान वह रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया और जेल भी गया।
जेल से छूटने के बाद उसने अपने रसूख का इस्तेमाल कर मुख्यालय पर अटैचमेंट ले लिया। उस पर सरकारी स्कूलों की जमीन भूमाफियाओं को बेचने का भी गंभीर आरोप है। फतेहाबाद के अई गांव के एक निलंबित शिक्षक को निलंबन के बावजूद पूरा वेतन जारी किया गया। अछनेरा के सींगना गांव की दो शिक्षिकाओं को, विवादित मामलों के बावजूद, नॉन-एचआरए क्षेत्र से एचआरए विद्यालय आवंटित कर दिया गया। वहीं, एक शिक्षक को कूटरचित दस्तावेजों से नौकरी पाने के बाद निलंबन और बर्खास्तगी के आदेशों के बावजूद बहाल कर दिया गया।
शमसाबाद के हज्जूपुरा की शिक्षिका को फिर से मिल गई नौकरी
कनिष्ठ बाबू का एक और गंभीर मामला सामने आया है। शमसाबाद की एक शिक्षिका लगातार आठ साल, आठ माह और आठ दिन तक विद्यालय नहीं आई। वह इस पूरे समय अवैतनिक अवकाश पर रही। नियमानुसार, पांच वर्ष की अधिकतम अवैतनिक छुट्टी के उपरांत यदि कोई कर्मचारी ड्यूटी ज्वाइन नहीं करता है, तो उसकी सेवा स्वतः समाप्त मानी जाती है। लेकिन कनिष्ठ बाबू की मिलीभगत से न तो उसकी नियुक्ति समाप्त की गई, न ही नियमों का पालन किया गया। इसके बजाय केवल चेतावनी देकर उसे पुनः सेवा में बहाल कर दिया गया।
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