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मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार मुक्त अभियान की धज्जियां उड़ा रहा है आगरा का ड्रग विभाग

admin
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कार्यालय न खुलने का पता, ना बंद होने का पता

दलालों के चंगुल में ड्रग कारोबारी

हफ्ते में सिर्फ दो दिन खुलता औषधि विभाग का कार्यालय

नए पंजीकरण, नवीनीकरण और नोटिस का जवाब देने में कारोबारियों को समस्या

प्रवीन शर्मा

आगरा। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टोलरेंस की नीति अपना रखी है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों को यह भी आदेश दे रखा है कि वह प्रतिदिन अपने कार्यालय में बैठकर 10 से 12 नियमित रूप से जनता की सुनवाई करें।

मुख्यमंत्री के इस आदेश को आगरा का ड्रग विभाग धता बताते हुए हवा में उड़ा रहा है ।औषधि विभाग के अधिकारियों की मनमानी और लचर कार्यशैली से भ्रष्टाचार को खूब बढ़ावा मिल रहा है। जिससे चलते दवा कारोबारी दलालों के चंगुल में फंस रहे हैं। कलक्ट्रेट स्थित औषधि विभाग का कार्यालय सप्ताह में सिर्फ दो दिन ही कुछ देर के लिये खुलता है, शेष दिन बंद रहता हैं। ऐसे में मेडिकल स्टोर, थोक दवा की दुकान के नए पंजीकरण, नवीनीकरण और नोटिस का जवाब देने के लिए पहुंच रहे दवा कारोबारियों को चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। कार्यालय में दो औषधि निरीक्षक होने के बाद भी औषधि विभाग नियमित नही खुलता हैं। जिससे दवा कारोबारियों को खासा परेशान होना पड़ता है।

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ड्रग विभाग के यह अधिकारी कार्यालय बंद होने पर अपने उच्चाधिकारियों को बताते है कि वह जांच में अथवा कोर्ट में गये है । जिसके कारण कार्यालय बंद है । जबकि इनके पास एक मूवमेंट रजिस्ट्रर रहता है । जिसमे इन्हें अपनी हर गतिविधियों को दर्ज करना होता है। ड्रग विभाग के यह अधिकारी अपने इस मूवमेंट रजिस्ट्रर को भी नियमित नही भरते है । वह अपनी सुविधानुसार मनमर्जी से कार्यालय में बैठते हैं।

थोक दवा की दुकान और मेडिकल स्टोर के लाइसेंस का हर पांच वर्ष बाद नवीनीकरण होता है। प्रदेश सरकार द्वारा पंजीकरण और नवीनीकरण की प्रक्रिया आनलाइन कर दी गई है। आनलाइन ही नवीनीकरण और नए पंजीकरण का 3000 रुपये शुल्क जमा होता है। आनलाइन फार्म जमा करने के बाद औषधि विभाग की टीम निरीक्षण के लिए आवेदक की दुकान पर जाती है,। निरीक्षण में कमी पाये जाने पर औषधि विभाग में दस्तावेज जमा करने के लिए बुलाया जाता है। औषधि निरीक्षक द्वारा दुकान का सर्वे करने के बाद नोटिस का जवाब देने के लिए कार्यालय में आना पड़ता है। मगर, कार्यालय में सोमवार और बुधवार को ही दोनों औषधि निरीक्षक बैठते हैं । ड्रग विभाग के इन अधिकारियों की दबंगई और नकारेपन का आलम यह है कि पब्लिक तो पब्लिक मीडिया वालों का भी फोन उठाना मुनासिब नहीं समझते है।

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इस बारे में विश्विनीय सूत्रों का कहना है का कहना है कि ड्रग विभाग के इंस्पेक्टर ने कलेक्ट्रेट स्थित दो स्टांप वेंडर को दुकानों के पंजीयन और नवीनीकरण के लिए अघोषित रूप से अपना प्रतिनिधि अधिकृत कर रखा है। ड्रग विभाग का सारा काम इन वेंडर के माध्यम से ही होता है । जो ड्रग के दुकानदारो से 30 से 50 हजार रुपये लेकर पंजीकरण और नवीनीकरण काम खुलेआम करा रहे हैं । अवैध वसूली के इस खेल में बड़ा पैसा इन ड्रग विभाग के अधिकारियों को भी मिलता है। जिसके चलते इन दलालों का काम धड़ले से खूब चल रहा है। दलालों के माध्यम से काम करने से अधिकारियों के रिश्वत लेकर पकड़े जाने की गुंजाइश भी रहती है और पैसा भी पूरा मिल जाता है। इस तरह दलाल और अधिकारियों की धमाचौकड़ी से जनता का खूब शौषण हो रहा है।

विभागीय सूत्रों का यह भी कहना है 

ड्रग विभाग के इन इंस्पेक्टर्स ने कुछ निजी कर्मचारी भी अपने यहाँ रखे हैं। जिनके माध्यम से यह अपने घर में समानान्तर कार्यालय चलाते है।अधिकारियों के इस नकारेपन से जहां एक तरफ जनता का शोषण हो रहा है वही मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति की धज्जियां उड़ रही है।

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जिला आगरा केमिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष आशु शर्मा का आरोप है

औषधि निरीक्षक अपने कार्यालय में बैठते नहीं हैं। जिससे मजबूरी में दवा कारोबारियों को दलालों से संपर्क करना पड़ रहा है। दलाल 30 से 50 हजार रुपये लेकर पंजीकरण और नवीनीकरण करा रहे हैं।जबकि आगरा में पांच हजार से अधिक दवा कारोबारी है।
इस मामले की शिकायत डीएम से भी की गई थी । जिसके बाद डीएम ने इन ड्रग इंस्पेक्टर को कोर्ट के बाद दोपहर बजे से कार्यालय में नियमित बैठना के निर्देश दिये थे ।इसके बाद भी इन अधिकारियों की कार्यशैली में कोई बदलाव नही आया है।

इनका कहना है –

इस मामले की जांच कराकर कार्रवाई कराता हूं । ड्रग इंस्पेक्टर को नियमित 10 से 12 अपने कार्यालय में बैठना होगा।
आनंदवीर सिंह
सिटी मजिस्ट्रेट
आगरा

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