कमीशन के चक्कर में मरीजों को निजी अस्पताल ले जाती हैं आशाएं

Dharmender Singh Malik
3 Min Read

जैतपुर। निजी अस्पतालों से मिलने वाले मोटे कमीशन के चक्कर में गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में गुमराह किया जा रहा है। प्रसव को पहुंचने वाले हर गर्भवती को लापरवाही और केस बिगड़ने का हौवा दिखाकर आशाएं निजी अस्पताल ले जाने की सलाह देती हैं। इतना ही नहीं निजी अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव कराने की सलाह देकर आशाएं कमीशन के चक्कर में खेल करती हैं।

सरकारी अस्पताल में गर्भवती के एंट्री करते ही नेटवर्क से जुडे़ लोग सक्रिय हो जाते हैं। इनमें खासकर आशा एवं अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं, जो नेटवर्क संचालित करने वालों के साथ जुड़े हैं। हमदर्दी दिखाने के बाद सरकारी अस्पताल की व्यवस्थाओं की कमियों का पिटारा खोल देते हैं। सीएचसी व पीएचसी अस्पताल में मरीजों को गुमराह करने और गर्भवतियों को निजी अस्पताल ले जाने वाले नेटवर्क का मामला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के संज्ञान में है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। आशाओं के कमीशन के चक्कर में कई बार जच्चा-बच्चा की मौत तक हो जाती है। अब तक कई मामले हो चुके हैं, मगर अफसर इससे अंजान बने हुए हैं।

See also  थाना अछनेरा में चल रहे कारनामों पर विधायक चौधरी बाबूलाल ने दिखाए कड़े तेवर, सरकार की छवि खराब करने का लगाया आरोप

दस हजार तक मिलता है कमीशन

निजी अस्पताल गर्भवती को ले जाने पर कमीशन दो से दस हजार रुपये तक मिलता है। जिला महिला अस्पताल में प्रसव के लिए रोज दर्जनों महिलाएं आती हैं। सरकारी अस्पताल में लापरवाही की बात बताकर अनहोनी होने की आशंका से डरा दिया जाता है। जिससे तीमारदार अपने मरीज की बेहतर इलाज के लिए वहां से निजी अस्पताल के लिए मरीज को लेकर निकलना ही बेहतर समझते हैं। इस दौरान सरकारी अस्पताल में घूम रही आशाएं उनसे मिलती हैं और निजी अस्पताल ले जाती हैं।

कोडवर्ड में बताती हैं निजी अस्पताल

कमीशन के चक्कर में मरीजों को निजी अस्पताल ले जाती हैं आशाएं अस्पताल में आशाओं और अन्य लोगों का सक्रिय गैंग प्रसव के लिए पहुंचने वाली महिलाओं को कोडवर्ड में अस्पताल बताती हैं। इस नेटवर्क में शामिल लोगों ने मरीजों के कोडवर्ड तय कर रखे हैं। मरीजों को लाने और ले जाने तक के कोडवर्ड से आम आदमी को काले धंधे का पता नहीं चलता है। जितना गंभीर मरीज, उतना बड़ा पैकेज मिलता है। इसी के हिसाब से मरीज की जेब को देखते हुए निजी अस्पताल में भेजा जाता है। उसके बाद बंदरबाट होता है।

See also  सीकरी स्मारकों में तैनात रहेगी एंबुलेंस

See also  राष्ट्रीय संगठन मंत्री का राष्ट्रीय लोक अदालत आगरा में स्वागत
Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a comment

Leave a Reply

error: AGRABHARAT.COM Copywrite Content.