झाँसी, सुल्तान आब्दी: ताज़िया कमेटी, इमामबाड़ा पंचायती सूजे खां खिड़की के सदर सम्मी ने जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि वक्फ नंबर-181 (इमामबाड़ा अंदर सूजे खां खिड़की) पर पिछले 100 वर्षों से अधिक समय से पारंपरिक ताज़िया और बुर्राक रखे जाते रहे हैं, जिसकी व्यवस्था आम जनता के साथ मिलकर की जाती थी।
सम्मी का आरोप है कि क्षेत्र का एक भूमाफिया, वसीर अहमद, निवासी सागर गेट झाँसी, खुद को उक्त वक्फ 181 का अध्यक्ष बता रहा है और मोहर्रम व चेहल्लम के त्योहारों पर ताज़िया और बुर्राक रखने से मना कर रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वसीर अहमद अपने साथियों के साथ मिलकर इस इमामबाड़े में, जहाँ पारंपरिक ताज़िया रखे जाते थे, एक मदरसे का संचालन कर अवैध कमाई का जरिया बना लिया है।
अल्पसंख्यक विभाग के रिकॉर्ड में इमामबाड़ा दर्ज
ज्ञापन में बताया गया है कि वक्फ नंबर-181 अल्पसंख्यक विभाग के रिकॉर्ड में स्पष्ट रूप से इमामबाड़ा के रूप में दर्ज है। इसके बावजूद, इमामबाड़े पर मोहर्रम और चेहल्लम पर्व पर ताज़िया व बुर्राक रखने से रोके जाने के कारण क्षेत्र और समाज में आक्रोश का माहौल पैदा हो रहा है।
सम्मी ने जिलाधिकारी से मांग की है कि भूमाफिया वसीर अहमद और उसके साथियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, जो 100 वर्षों से अधिक पुरानी इस धार्मिक परंपरा में बाधा डाल रहे हैं और क्षेत्र का माहौल खराब कर रहे हैं।
पूर्व में भी की गई थी शिकायतें
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि उक्त लोगों के खिलाफ पूर्व में भी शिकायतें की गई थीं, जिस पर सहायक सर्वे आयुक्त वक्फ झाँसी द्वारा मुख्य कार्यपालक अधिकारी, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, लखनऊ को कार्रवाई के लिए रिपोर्ट जारी की गई थी। इसके बावजूद, वसीर अहमद और उसके साथी दबंगई के बल पर इमामबाड़े पर कब्जा कर अवैध कमाई कर रहे हैं और क्षेत्र का माहौल बिगाड़ रहे हैं।
इस दौरान ज्ञापन सौंपने वालों में आशिक खान, मुईनउद्दीन, उस्मान राईन, शहजाद पीर, आली सलीम, सब्बीर शाह, खालिद शाह आदि कई लोग मौजूद रहे।