दबंग पंप संचालक के हौसले हुए बुलंद

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जिला पूर्ति विभाग के कथित संरक्षण में बेखौफ चल रहे बायो डीजल और पेट्रोल के अवैध पंप

आगरा। जनपद के शमसाबाद और खेरागढ़ क्षेत्र में दबंग पंप संचालक अमित शर्मा द्वारा बेखौफ होकर बायो डीजल की आड़ में नकली डीजल और पेट्रोल की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है। विभाग में लगातार की जा रही शिकायतों के बावजूद स्थिति जस की तस है। दबंग संचालक द्वारा पुलिस प्रशासन को पूरी तरह ठेंगे पर रख दिया गया है। लोगों की आंखों में धूल झोंककर नकली डीजल और पेट्रोल बेचकर मोटी कमाई की जा रही है।

आपको बता दें कि आगरा जिला में कहीं भी बायो डीजल के पंप के लिए एनओसी जारी नहीं है। इसके बावजूद अमित शर्मा द्वारा शमसाबाद क्षेत्र में दो और खेरागढ़ क्षेत्र में दो पंप काफी समय से संचालित किए जा रहे हैं। शिकायतकर्ता रवि शर्मा के अनुसार इन पंप पर बायो डीजल की जगह बेस ऑयल और पेट्रोल की जगह सॉल्वेंट मिश्रित नकली पेट्रोल बेचा जा रहा है। दोनों ही पदार्थ वाहनों के लिए बेहद हानिकारक है। इस नकली डीजल और पेट्रोल के उपयोग से गाड़ियों के इंजन खराब होना निश्चित है। इसके बावजूद जिला आपूर्ति विभाग के एआरओ विमल सिकरवार और लिपिक राजीव तिवारी की कथित मिलीभगत से दबंग अमित शर्मा द्वारा धोखाधड़ी को अंजाम दिया जा रहा है। विभाग में लगातार शिकायत हो रही हैं। एडीएम आपूर्ति द्वारा जांच अधिकारी नियुक्त कर दो बार जांच रिपोर्ट मांगी जा चुकी है। पूर्ति विभाग के अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों के दिशा निर्देशों को भी हवा में उड़ा दिया है।

दिखावे के लिए एक पंप को किया बंद

सूत्रों के अनुसार पूर्ति विभाग के अधिकारियों द्वारा बताया गया था अवैध पंप का संचालन बंद करवा दिया गया है। इसकी पड़ताल करने के लिए संवाददाता द्वारा मौके पर जाकर देखा गया तो खेरागढ़ क्षेत्र के एक पंप पर कुछ समय पहले ही बिक्री रोककर मशीन को खोल लिया गया था। खेरागढ़ क्षेत्र के राजस्थान बॉर्डर पर दूसरे पंप पर डंके की चोट पर मिलावटी पेट्रोल की बिक्री हो रही थी। यहां पर कार्रवाई का कोई खौफ नहीं दिखा। शिकायतकर्ता के अनुसार दबंग अमित शर्मा द्वारा बार बार यही रवैया अपनाया जाता है। दवाब पड़ने पर मशीनों को खोलकर कुछ समय के लिए बिक्री बंद कर दी जाती है। मामला शांत होने पर इसके बाद फिर से बिक्री शुरू हो जाती है। विभाग द्वारा आज तक इस मामले में प्रभावी कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण अमित शर्मा के हौसले बुलंद हैं। मौके पर जाकर टैंकों की जांच होने पर तेल के काले खेल का पर्दाफाश होने में देर नहीं लगेगी।

अभी तक डीएसओ ने जवाब नहीं दिया….एडीएम (सप्लाई)

आगरा। जब इस मामले में एडीएम सप्लाई द्वारा 4 अक्टूबर को जिला पूर्ति अधिकारी को लिखे पत्र के संबंध में एडीएम से पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि अभी तक जवाब नहीं दिया गया है, फिर से पत्र जारी किया जाएगा।

शीघ्र ही जवाब दिया जाएगा …डीएसओ

आगरा। जब एडीएम (सप्लाई) के पत्र के बारे में जिला पूर्ति अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बहाने बाजी करते हुए कहा कि कई बार क्षेत्रीय स्पेक्टर को कहा गया है, लेकिन अभी तक जवाब नहीं भेजा है शीघ्र ही जवाब भेज दिया जाएगा।

 

पहले भी विवादित रहे हैं बाबू राजीव तिवारी

आगरा। वर्तमान डीएसओ से पिछले डीएसओ के समय में भी कई जांचों को लेकर राजीव तिवारी विवादित रहे हैं, जिसके चलते उनका स्थानांतरण अन्य तहसीलों में किया गया था लेकिन बताया जाता है। कि बाबू भ्रष्टाचार करने में सफल है,इस वजह से वर्तमान डीएसओ ने फिर से इनको मुख्यालय पर तैनाती दे दी।

 

ऐ. आर. ओ.विमल सिकरवार का रहा है हमेशा से जलवा

आगरा। अवैध बायो पंप के अलावा ऐ. आर. ओ.विमल सिकरवार का कार्यालय में हमेशा जलवा रहा है। उनकी यदि बात की जाए तो निश्चित तौर पर वह भी भ्रष्टाचार के खेल में अनुभवी खिलाड़ी नजर आते हैं। उनकी कोई शिकायत भी कार्यालय में आती है, तो वर्तमान डीएसओ पारिवारिक परिस्थितियों के कारण उन शिकायतों पर ध्यान नहीं देते हैं। जिसके चलते बायो पंप के संबंध में एडीएम सप्लाई द्वारा लिखे गए पत्र का जवाब आज तक नहीं दिया गया है।

कार्यालय में रहता है इन दोनों का जलवा

आगरा। जिला पूर्ति कार्यालय की बात की जाए तो कई बाबू और ऐ. आर. ओ यहां तैनात है लेकिन विमल सिकरवार और राजीव तिवारी का यहां सबसे अधिक जलवा है जिसके चलते सभी स्टाफ इनके आगे बेबस दिखाई देता है। कार्यालय में अधिकतर फाइलों का निस्तारण इनके इशारे पर किया जाता है यदि जांच हुई तो निश्चित ही यह दोनों बड़े सवालों से घिर सकते हैं।

 

किसके ईशारे पर संचालित हैं बायो पंप?

आगरा। बायो पंपों की बात की जाए तो निश्चित ही इसमें विभागीय संरक्षण की खुलेआम बू आ रही है,यदि इस मामले की ईमानदारी से जांच हो तो यह दोनों ही मामले में दोषी पाए जा सकते हैं। इस मामले में इतना साफ हो गया की जिला पूर्ति अधिकारी के कार्यालय के संरक्षण में इन पंपों का संचालन तो हुआ लेकिन जब खबर प्रकाशित हुई तो जल्दबाजी में सबूत को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है।

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प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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