साहित्यकार डॉ. श्रीभगवान शर्मा का निधन

Dharmender Singh Malik
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आगरा। आगरा के जाने-माने विद्वान साहित्यकार, संस्कृत एवं हिंदी भाषा के प्रवर्तक, देश-विदेश में हिंदी भाषा की मशाल प्रज्वलित करने वाले डॉ. श्री भगवान शर्मा का 29 सितंबर को निधन हो गया। वे 85 वर्ष के थे।

डॉ. शर्मा का जन्म आगरा के एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से संस्कृत और हिंदी में एमए और पीएचडी की उपाधियां प्राप्त कीं। उन्होंने कई वर्षों तक सेंट जॉन्स कॉलेज, आगरा में हिंदी विभाग के रीडर के रूप में कार्य किया।

डॉ. शर्मा ने अपने जीवनकाल में हिंदी और संस्कृत में कई पुस्तकों की रचना की। उनकी प्रमुख रचनाओं में “हिंदी साहित्य का इतिहास”, “संस्कृत साहित्य का इतिहास”, “हिन्दी व्याकरण”, “संस्कृत व्याकरण”, “हिन्दी काव्यशास्त्र”, “संस्कृत काव्यशास्त्र”, “हिन्दी नाटकशास्त्र”, “संस्कृत नाटकशास्त्र” आदि शामिल हैं।

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डॉ. शर्मा हिंदी साहित्य और संस्कृति के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों और आयोजनों का आयोजन किया। वे अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्ष, आल इंडिया ब्राह्मण फेडरेशन के मुख्य सलाहकार, ब्राह्मण परिषद, आगरा के संरक्षक और बाबू गुलाबराय स्मृति संस्थान के अध्यक्ष भी थे।

डॉ. शर्मा के निधन से हिंदी साहित्य और संस्कृति जगत को एक बड़ा नुकसान हुआ है। उनका निधन हिंदी जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

डॉ. शर्मा को अंतिम विदाई

डॉ. शर्मा का अंतिम संस्कार आगरा के चितौड़गढ़ रोड पर स्थित श्मशान घाट पर किया गया। उनके अंतिम संस्कार में शहर के एवं शहर से बाहर के साहित्यकार, प्रशासनिक अधिकारी व भारी जनसमूह शामिल हुआ।

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कवि अनिल कुमार शर्मा ने स्व० डॉ. श्री भगवान शर्मा को भारत आस्ट्रेलिया साहित्य सेतु, हरिऔध स्मृति काव्य सम्मेलन, अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति रजि० दिल्ली, अखिल विश्व हिंदी समिति कनाडा की तरफ़ से भावभीनी पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनके हिंदी के योगदान को हमेशा याद किया जायेगा और एक तरह से वह हिंदी जगत में अमर हो गये।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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