प्रधानमंत्री मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच थाईलैंड में द्विपक्षीय वार्ता, अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर हुई चर्चा

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प्रधानमंत्री मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच थाईलैंड में द्विपक्षीय वार्ता, अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर हुई चर्चा

नई दिल्ली: भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता थाईलैंड में BIMSTEC समिट से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश सरकार के अंतरिम सलाहकार मोहम्मद यूनुस के बीच हुई। इस बैठक के दौरान दोनों नेताओं के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के हालात और दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के पहलू शामिल हैं।

विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी

भारत सरकार के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस बैठक के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के हालात को लेकर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। यह मुद्दा प्रधानमंत्री मोदी ने मोहम्मद यूनुस के साथ खुले तौर पर उठाया। विदेश सचिव ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान बांग्लादेश सरकार से अपेक्षाएँ जताईं और उम्मीद जताई कि बांग्लादेश अपनी जिम्मेदारियों को सच्चे मन से निभाएगा।”

भारत का समर्थन और सकारात्मक रिश्ते की इच्छा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश को लेकर भारत की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया। उन्होंने बांग्लादेश को लोकतांत्रिक, स्थाई, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील देश के रूप में देखने की इच्छा जताई और इसके लिए भारत की पूरी सहायता की बात कही। पीएम मोदी ने इस बात का भी उल्लेख किया कि भारत बांग्लादेश के साथ अधिक सकारात्मक और निर्णायक संबंध स्थापित करना चाहता है। यह बात उन्होंने मोहम्मद यूनुस से साझा की और दोनों देशों के रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाने के लिए तैयारियों की बात की।

शेख हसीना के मुद्दे पर चर्चा

इस द्विपक्षीय वार्ता में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का मुद्दा भी छाया रहा। प्रधानमंत्री मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच इस संदर्भ में भी बातचीत हुई, जिसमें दोनों देशों के नेताओं ने बांग्लादेश के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य पर अपनी राय साझा की।

आगे की दिशा

प्रधानमंत्री मोदी ने इस वार्ता में बांग्लादेश के साथ संबंधों को एक नए अध्याय में प्रवेश करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने की बात कही। यह द्विपक्षीय वार्ता भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में एक सकारात्मक मोड़ की ओर इशारा करती है, खासकर उन मुद्दों को लेकर जो दोनों देशों के बीच जटिल हो सकते हैं।

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