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तमिलनाडु की डॉ. एन जेंसी: देश की पहली ट्रांसवुमन PhD होल्डर, CM स्टालिन ने भी की तारीफ

Manasvi Chaudhary
4 Min Read
तमिलनाडु की डॉ. एन जेंसी: देश की पहली ट्रांसवुमन PhD होल्डर, CM स्टालिन ने भी की तारीफ

चेन्नई, तमिलनाडु: “पढ़ाई वो हथियार है, जो हर मुश्किल को चकनाचूर कर देता है!” इन प्रेरणादायक शब्दों को सच कर दिखाया है तमिलनाडु के तिरुत्तनी गांव से निकलीं डॉ. एन जेंसी ने। उन्होंने देश की पहली ट्रांसवुमन PhD होल्डर बनकर इतिहास रच दिया है। चेन्नई के मशहूर लोयोला कॉलेज में इंग्लिश डिपार्टमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर जेंसी ने सभी को चौंका दिया। तमाम सामाजिक मुश्किलों और चुनौतियों का सामना करते हुए उन्होंने अपने सपनों को साकार किया। उनकी इस असाधारण उपलब्धि पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी उनकी जमकर तारीफ की है।

गांव से प्रोफेसर तक का प्रेरणादायक सफर

डॉ. जेंसी का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। तिरुत्तनी जैसे एक छोटे से गांव में जन्मीं जेंसी को ट्रांसवुमन होने के कारण समाज और शुरुआती दिनों में अपने परिवार का भी पूरा साथ नहीं मिल पाया। लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी और हिम्मत से काम लिया। उन्होंने अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान केंद्रित किया और UG (स्नातक) और MA (परास्नातक) दोनों में गोल्ड मेडल हासिल किए। इसके बाद उन्होंने अपनी PhD भी पूरी की। आज वह लोयोला कॉलेज में मैनेजमेंट स्टाफ के तौर पर पढ़ा रही हैं।

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उनकी इस कामयाबी पर मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, “डॉ. जेंसी को ढेर सारी बधाई! आपकी तरह और सैकड़ों लोग पढ़ाई से कामयाबी पाएं। शिक्षा की ताकत हर रुकावट को हरा दे!”

CM स्टालिन से मुलाकात और समुदाय के लिए अपील

डॉ. जेंसी ने मुख्यमंत्री स्टालिन से मिलकर उनका आभार व्यक्त किया और उनकी सरकार द्वारा सामाजिक न्याय के क्षेत्र में उठाए गए कदमों की सराहना की। उन्होंने भावुक होकर कहा कि यह मेरी अकेले की जीत नहीं, बल्कि मेरे पूरे ट्रांस कम्युनिटी की जीत है। जेंसी ने अपनी आपबीती साझा करते हुए कहा कि उन्होंने जीवन में बहुत कुछ सहा, लेकिन उनकी पढ़ाई ने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। उन्होंने समाज से भावुक अपील की, “ट्रांस लोगों को घर से न निकालें, उन्हें पढ़ने दें। मुझे ही देखिए, मेरा परिवार पहले मुझे नहीं समझ पाया लेकिन मैंने गोल्ड मेडल जीते और आज प्रोफेसर हूं। प्रकृति को तो स्वीकार करते हो, फिर हमें क्यों नहीं?”

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सरकारी नौकरी की खास गुजारिश

जेंसी ने मुख्यमंत्री स्टालिन से एक खास गुजारिश भी की। उन्होंने कहा, “मेरे पास पिता नहीं हैं, लेकिन मैं स्टालिन सर को पिता मानकर कहती हूं। मुझे तमिलनाडु के सरकारी कॉलेज में पक्की नौकरी दें। यह मेरे कम्युनिटी के लिए एक मिसाल बनेगा और उन्हें पढ़ाई की ओर बढ़ने की हिम्मत देगा।” उनकी यह बात दिल को छू गई।

डॉ. जेंसी की कहानी हर उस शख्स के लिए एक बड़ी प्रेरणा है जो जीवन में मुश्किलों से जूझ रहा है। उन्होंने अपनी पढ़ाई को अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाकर न केवल अपनी जिंदगी बदली, बल्कि पूरे ट्रांस कम्युनिटी के लिए एक नया रास्ता भी दिखाया है। अब यह समाज पर निर्भर करता है कि वह उनकी इस जीत को किस तरह अपनाता है।

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क्या आपको लगता है कि डॉ. जेंसी की यह उपलब्धि समाज में ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति धारणा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी?

 

 

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