आगरा। रेलवे भूमि पर देशभर में बढ़ते अतिक्रमण को लेकर सरकार चिंतित है, लेकिन मोहब्बत की नगरी आगरा में हालात कुछ और ही कहानी बयां करती है। प्रतिदिन हजारों देसी और विदेशी सैलानी ताजमहल के दीदार के लिए आगरा आते हैं, लेकिन शहर में कदम रखते ही उन्हें ‘स्वागत’ की जगह अव्यवस्था का दृश्य देखने को मिलता है।

आगरा कैंट रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते ही यात्रियों को सबसे पहले ऑटो चालकों की मनमानी से जूझना पड़ता है। यह चालक पूरी सड़क पर कब्जा जमाए खड़े मिलते हैं, जिससे यात्रियों को पैदल चलने के लिए फुटपाथ तक नसीब नहीं होता। किसी तरह उनसे आगे बढ़ें तो स्टेशन से लेकर अटल चौक यानि कि गोवर्धन स्टेडियम तक अतिक्रमण का माया-जाल फैला है। दोनों ओर दुकानदारों ने सड़क और फुटपाथ तक पर ठेले, खोमचे और अस्थाई दुकानें जमा रखी हैं।

नगर निगम की टास्क फोर्स कई बार कार्रवाई कर चुकी है, चेतावनी भी दी गई, लेकिन सब व्यर्थ हुआ। कार्रवाई के कुछ दिन बाद ही अतिक्रमण दोबारा पहले से ज्यादा फैल जाता है। नतीजा यह कि पैदल यात्रियों को भारी मशक्कत करनी पड़ती है और विदेशी सैलानियों पर शहर की गंदी छवि अंकित हो जाती है। अब सवाल यह है कि आख़िऱ नगर निगम प्रशासन कठोर कार्यवाही को अंजाम क्यों नहीं देता। यहां बताना आवश्यक है कि तत्कालीन डीएम भानु चंद्र गोस्वामी यहां का निरीक्षण कर अव्यवस्थाओ को ख़त्म करने के सख़्त दिशा निर्देश रेलवे प्रशासन, नगर निगम एवं संबंधित विभागों को दे चुके हैं। उनके ट्रांसफर होने के बाद अटल चौक की अव्यवस्थाओं को नज़र अंदाज कर दिया गया।

स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यह पूरा अतिक्रमण नेटवर्क कुछ राजनीतिक संरक्षण में फल-फूल रहा है। कई नामी नेताओं की शह से ही सड़कों पर यह कब्जे कायम हैं। वहीं, आरपीएफ, जीआरपी और थाना सदर की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। तीनों एजेंसियों की मौजूदगी के बावजूद स्टेशन के बाहर यह अवैध कब्जा और ऑटो चालकों की दबंगई लगातार बढ़ रही है।
रेलवे प्रशासन की खामोशी भी चौंकाती है। यह वही स्थान है, जहां से विदेशी सैलानी भारत की पहली झलक देखते हैं, लेकिन जो दृश्य उन्हें दिखाई देता है वह आगरा ही नहीं, पूरे देश की छवि पर बदनुमा दाग के समान है।
