एटा: उत्तर प्रदेश के नए पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्ण के स्पष्ट आदेशों और “पुलिस को मित्र बनाएं” की नीति को एटा की जैथरा पुलिस ने पूरी तरह से ताक पर रख दिया है। जिले से एक बार फिर पुलिस बर्बरता का ऐसा शर्मनाक उदाहरण सामने आया है, जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया है। जैथरा थाना क्षेत्र के कठिगरा गांव निवासी संतोष नामक युवक को पुलिस ने बेरहमी से पीटा, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। वीडियो में संतोष को थाने में एक खंभे से बांधकर पटे से मारपीट करते हुए देखा जा रहा है।
जमीनी विवाद में पुलिस की बर्बरता, परिजनों के सामने हुई पिटाई
पीड़ित संतोष ने बताया कि उनके और उनके सगे भाई के बीच चल रहे जमीनी विवाद में पुलिस चौकी प्रभारी ने उन्हें चौकी पर बुलाया था। संतोष के अनुसार, उन्हें पहले दिनभर चौकी में बैठाया गया और फिर देर शाम जैथरा थाने भेज दिया गया, जबकि उन्होंने चौकी इंचार्ज से कई बार आपस में फैसला करने की बात कही थी। उन्हें पूरी रात जैथरा थाने में बंद रखा गया।
सुबह जब परिजन उनकी जमानत कराने थाने आए, तो दरोगा ने आक्रोशित होकर परिजनों के सामने ही संतोष को एक खंभे से पकड़वाकर पटे से पीटना शुरू कर दिया। संतोष ने बताया कि उसे बिना किसी जुर्म के इस अमानवीय व्यवहार का शिकार बनाया गया। हालांकि, डर के कारण वह आरोपी पुलिसकर्मियों के नाम नहीं बता सका।
DGP के ‘पुलिस मित्र’ नीति का उल्लंघन, SSP से शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं
संतोष ने बताया कि पुलिस गिरफ्त से छूटने के बाद उन्होंने घटना की शिकायत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) एटा श्याम नारायण सिंह से प्रार्थना पत्र देकर की है। एसएसपी ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस घटना ने जिले भर में आम जनता में पुलिस कार्यप्रणाली के प्रति भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। स्थानीय नागरिकों ने जैथरा पुलिस के इस रवैये की कड़ी आलोचना की है, जो सीधे तौर पर डीजीपी राजीव कृष्ण की ‘पुलिस मित्र’ नीति का उल्लंघन है।
कानूनी राय: संविधान और मानवाधिकारों का हनन
सीओ अलीगंज नीतीश गर्ग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच कर आवश्यक कार्यवाही करने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। हालांकि, जैथरा थाना प्रभारी शंभू नाथ सिंह से जब संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
कानूनी नजरिए से, एडवोकेट उज्जवल पांडेय ने बताया कि किसी भी नागरिक के साथ पुलिस हिरासत में इस प्रकार की मारपीट संविधान और कानून दोनों का उल्लंघन है। भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 330 (जबरन स्वीकारोक्ति प्राप्त करने के लिए चोट पहुंचाना) के तहत यह एक दंडनीय अपराध है। सुप्रीम कोर्ट भी इस तरह की घटनाओं को गंभीर मानवाधिकार हनन मानता है और दोषियों को कठोर सजा की बात कह चुका है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की गुहार
पीड़ित परिजनों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील करते हुए मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों को सख्त सजा दिलाने की मांग की है। यह घटना न सिर्फ पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है, बल्कि कानून व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भी गहरा प्रश्नचिह्न लगाती है।