आगरा। श्री बांके बिहारी एजुकेशनल सोसायटी की ओर से प्राचीन कैलाश मंदिर के घाट को स्वच्छ बनाने के साथ साथ उस घाट पर यमुना मैया की आरती करते हैं । यमुना माँ की आरती बहुत ही हृदयस्पर्शी है। जब यमुना नदी के किनारे इन भावो को गाया जाता है तो बहुत ही प्यारा अनुभव होता है। ऐसा लगता साक्षात् श्री कृष्णा रंग में यमुना महारानी हमें आशीर्वाद दे रही है।सब जानते हैं कि नदियों के किनारे ही अनेक मानव सभ्यताओं का जन्म और विकास हुआ है। नदी तमाम मानव संस्कृतियों की जननी है।
प्रकृति की गोद में रहने वाले हमारे पुरखे नदी-जल की अहमियत समझते थे लेकिन अब इस आधुनिक युग में लोगों के ज़हन से ये बात निकलती जा रही है।आगरा में गोपाष्टमी के पर्व पर प्राचीन कैलाश मंदिर यमुना घाट पर गो पूजन पर्व मनाया गया। यहां सुबह से ही गौ पूजन करने वाले भक्तों की कतार लगी रही।लोगों ने गौ माता का पूजन कर उन्हें हरा चारा एवं गुड़ खिलाया। प्राचीन कैलाश मंदिर महंत गौरव गिरी ने वेद मंत्रोच्चारण के मध्य गौ माता का पूजन किया साथ ही गौ माता को हरा चारा एवं गुड खिलाया।
गौ माता का पूजन कर गोवंश संरक्षण एवं संवर्धन का संकल्प लिया गया।श्री बांके बिहारी एजुकेशनल सोसाइटी संस्थापक अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन शर्मा ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की बाल हठ से माता यशोदा को भी हार माननी पड़ती थी.माता श्रीकृष्ण को कभी गाय चराने नहीं जाने देती थीं,लेकिन एक दिन कृष्ण ने गाय चराने की जिद पर अड़ गए.तब मां यशोदा ऋषि शांडिल्य से मुहूर्त निकलवाया और पूजन के लिए श्रीकृष्ण को गाय चराने भेजा।
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यानी आज गोपाष्टमी को भगवान पहली बार गाय चराने गए थे.इसी उपलक्ष्य में गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता हैं। इस मौके पर नकुल सारस्वत, सोम शर्मा,आलोक शर्मा,विशेष गिरी पूजा अर्चना आचार्य अमित दुबे,आचार्य उपदेश पंडित द्वारा संपन्न कराई गई मुख्य अतिथि शुभम दुबे थे।