नई दिल्ली: आजकल लोन लेना एक आम बात हो गई है, चाहे वो घर के लिए हो, मेडिकल ज़रूरत के लिए हो, या किसी बड़े खर्च के लिए। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर लोन चुकाने से पहले आपकी मृत्यु हो जाए, तो उस लोन का क्या होगा? क्या बैंक आपके परिवार से पैसा वसूलेगा या आपकी प्रॉपर्टी नीलाम हो जाएगी?
यह सवाल जानना बेहद ज़रूरी है ताकि आपके आज के फैसले कल आपके परिवार के लिए सिरदर्द न बन जाएँ। इस आर्टिकल में, हम आपको बताएंगे कि मृत्यु के बाद किस तरह का लोन किसके जिम्मे आता है और किन बातों का आपको पहले से ध्यान रखना चाहिए।
1. क्रेडिट कार्ड लोन: परिवार के लिए राहत
अगर आपने क्रेडिट कार्ड से लोन लिया है और दुर्भाग्यवश आपकी मृत्यु हो जाती है, तो ज़्यादा घबराने की ज़रूरत नहीं। क्रेडिट कार्ड से लिया गया लोन “अनसिक्योर्ड लोन” होता है, यानी इसमें बैंक के पास कोई ज़मानत (गिरवी रखी कोई चीज़) नहीं होती।
इस स्थिति में, आमतौर पर बैंक उस लोन को “राइट-ऑफ” कर देता है, यानी उसे बकाया समझकर बंद कर दिया जाता है। ऐसे मामलों में परिवार पर किसी तरह का बोझ नहीं आता। हालांकि, यह बैंक की आंतरिक नीति पर निर्भर करता है, और कुछ मामलों में वे कानूनी रास्ता भी अपना सकते हैं। फिर भी, सामान्यतः इस तरह के लोन से परिवार को चिंता नहीं करनी पड़ती।
2. पर्सनल लोन: थोड़ा जोखिम भरा
पर्सनल लोन भी एक अनसिक्योर्ड लोन है, लेकिन इसकी राशि क्रेडिट कार्ड लोन से ज़्यादा होती है। यदि पर्सनल लोन लेने वाले की मृत्यु हो जाती है, तो बैंक को सीधे तौर पर कोई ज़मानत नहीं होती जिससे वह वसूली कर सके।
लेकिन, अगर लोन लेते समय आपने किसी को गारंटर बनाया है, तो बैंक उस गारंटर से पूरा लोन वसूल सकता है। इसलिए, अगर आप किसी के लिए गारंटर बन रहे हैं, तो दो बार सोच लें, क्योंकि लोन न चुकाने पर यह बोझ आपके कंधों पर आ सकता है।
3. होम लोन: संपत्ति पर पड़ सकता है असर
होम लोन को “सिक्योर्ड लोन” कहा जाता है क्योंकि इसमें जो घर खरीदा गया है, वही बैंक के लिए गिरवी रहता है। अगर लोन लेने वाले की मृत्यु हो जाए और होम लोन बाकी रह जाए, तो बैंक आपकी उस संपत्ति को नीलाम कर सकता है।
यदि घर को को-एप्लिकेंट के साथ खरीदा गया है (जैसे पति-पत्नी), तो उन्हें लोन चुकाना पड़ेगा। अगर वे नहीं चुका सके, तो बैंक SARFAESI Act के तहत घर की नीलामी कर सकता है।
इसलिए, होम लोन लेते समय अगर आप चाहते हैं कि आपके परिवार को बाद में दिक्कत न हो, तो लोन इंश्योरेंस ज़रूर लें।
4. लोन इंश्योरेंस: समझदारी भरा कदम
आजकल लगभग हर बैंक लोन के साथ इंश्योरेंस भी ऑफर करता है। इसका मतलब है कि अगर लोन लेने वाले की मृत्यु हो जाती है, तो बीमा कंपनी पूरा बकाया लोन चुका देती है। इससे न तो बैंक को नुकसान होता है और न ही परिवार पर कोई आर्थिक बोझ पड़ता है।
लोन इंश्योरेंस थोड़ी अतिरिक्त लागत लेकर आता है, लेकिन इसके फायदे बहुत बड़े होते हैं। सोचिए, अगर आप 20 लाख का होम लोन ले रहे हैं और कुछ अनहोनी हो जाए, तो आपकी फैमिली को उस 20 लाख का लोन न चुकाना पड़े—इससे बेहतर क्या हो सकता है?
5. लोन लेने से पहले इन बातों का ज़रूर ध्यान रखें
जब आप लोन लेने जाएं, तो केवल EMI और ब्याज दर को ही न देखें। इन बातों पर भी गौर करें:
- क्या लोन के साथ इंश्योरेंस है या नहीं?
- क्या आपने किसी को गारंटर जोड़ा है? अगर हाँ, तो क्या वह इसके लिए तैयार है?
- को-एप्लिकेंट कौन है? क्या वह लोन चुकाने की क्षमता रखता है?
- लोन सिक्योर्ड है या अनसिक्योर्ड?
- बैंक की मृत्यु के बाद वसूली की पॉलिसी क्या है?
वास्तविक जीवन का एक उदाहरण: मेरे जान-पहचान के एक अंकल ने बेटे की शादी के लिए 10 लाख का पर्सनल लोन लिया था। लेकिन कुछ महीनों बाद हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने कोई लोन इंश्योरेंस नहीं लिया था और न ही कोई को-एप्लिकेंट था। अब बैंक ने उनके छोटे भाई से, जो गारंटर थे, लोन की पूरी राशि चुकाने को कहा। परिवार को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा।
अगर उस वक्त उन्होंने थोड़ी सतर्कता बरती होती और लोन इंश्योरेंस लिया होता, तो शायद उनके परिवार को ये दिन न देखने पड़ते।
लोन लेना कभी-कभी ज़रूरी हो जाता है और यह कोई गलत बात नहीं है। लेकिन बिना सोचे-समझे लोन लेना या उससे जुड़ी सुरक्षा पर ध्यान न देना एक बड़ी गलती हो सकती है। अगर आप चाहते हैं कि आपके बाद आपके परिवार को किसी आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े, तो लोन लेते वक्त कुछ बातों पर विशेष ध्यान दें।
- हमेशा लोन इंश्योरेंस की जानकारी लें और ज़रूरी हो तो उसे लें।
- गारंटर बनते समय अपनी ज़िम्मेदारी समझें।
- को-एप्लिकेंट के लिए ज़िम्मेदारियाँ स्पष्ट करें।
क्या आप लोन लेते समय इन बातों का ध्यान रखते हैं?