अनदेखी:नॉन एचआरए से एचआरए विद्यालय भेजे गए शिक्षकों के निरस्तीकरण में खेल

Jagannath Prasad
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दागी बाबू की कथित सेटिंग से चार शिक्षकों में से दो का हुआ निरस्तीकरण

आवंटित विद्यालय में 9सी लॉक होने के बावजूद शिक्षकों को प्राप्त नहीं हुआ आदेश

आगरा। बेसिक शिक्षा विभाग आगरा में निलंबन के बाद पदस्थापन की आड़ में अपने चहेतों को अनुचित लाभ पहुंचाने का खेल रुक नहीं रहा है। भ्रष्टाचार के अनेकों मामलों में आरोपी एवं नियम विरुद्ध तरीके से अटैचमेंट पर तैनात रहकर मुख्यालय पर निलंबन एवं बहाली जैसे महत्वपूर्ण पटल को देख रहे बाबू की कथित सांठगांठ से जमकर वारे-न्यारे हो रहे हैं। नियमों की परवाह किए बिना, शिक्षकों को निलंबन के बाद नॉन एचआरए से एचआरए विद्यालय में तैनाती देकर विभाग की नीतियों का मखौल उड़ाया जा रहा है।

बताया जाता है कि बीते 21 एवं 22 जुलाई को बीएसए आगरा द्वारा पिनाहट ब्लॉक में तैनात एक शिक्षिका समेत बिचपुरी ब्लॉक के कुलदीप भारद्वाज, फतेहाबाद ब्लॉक के मंजीत सिंह और बाह ब्लॉक के राजेश पटेल को निलंबित किया था। 28 जुलाई को मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से चारों शिक्षकों की बहाली हुई थी। चारों को नॉन एचआरए विद्यालय से एचआरए विद्यालय आवंटित हुए, जो कि संदेहास्पद है। विभागीय अधिकारियों द्वारा इसको तकनीकी त्रुटि बताया गया। बहाली के बाद सभी शिक्षकों ने अपने विद्यालय में कार्यभार ग्रहण कर लिया।

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चारों शिक्षकों की बहाली के बाद, एक शिक्षिका एवं शिक्षक का गुपचुप तरीके से निरस्तीकरण करते हुए मूल विद्यालय में ही आदेश पोर्टल पर अपलोड कर दिया। जिनका निरस्तीकरण हुआ, उनको एबीएसए से लेकर संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा किसी प्रकार का नोटिस भी नहीं दिया गया, वहीं उन दोनों ने अपने आवंटित विद्यालय में निर्धारित अवधि तक शिक्षण कार्य किया, उसी विद्यालय से उनकी 9सी लॉक भी हो गई। दोनों शिक्षक एवं शिक्षिका को पोर्टल के माध्यम से ब्लॉक बरौली अहीर में विद्यालय आवंटित हुए थे। अपने निरस्तीकरण की जानकारी उन्हें बीते दिनों समाचारपत्र के माध्यम से हुई, जिसमें अधिकारियों द्वारा आदेश को निरस्त करना बताया गया था। जिसके बाद उनके द्वारा पोर्टल पर जाकर जानकारी की गई तो उनका बीते 3 जुलाई को ही उनको आवंटित विद्यालय से रिलीव घोषित कर दिया गया था।

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 दो का निरस्तीकरण, दो को अभयदान

सूत्रों के अनुसार, दागी बाबू की मिलीभगत से हुए इस पूरे खेल का भंडाफोड़ हुआ तो गुपचुप तरीके से राजेश पटेल और दूसरी शिक्षिका का ब्लॉक बरौली अहीर के विद्यालय से मूल विद्यालय में रिलीव ऑर्डर पोर्टल पर जारी कर दिया गया। दोनों शिक्षक एवं शिक्षिका अपने आवंटित विद्यालय में ही शिक्षण कार्य करते रहे। संबंधित ब्लॉक का सर्वोच्च विभागीय अधिकारी एबीएसए होता है। एबीएसए द्वारा संबंधित प्रधानाध्यापक को लिखित रूप से अवगत कराने की जरूरत नहीं गई। दूसरी तरफ मंजीत सिंह और कुलदीप भारद्वाज पर विभागीय अधिकारी एवं दागी बाबू की कृपा दृष्टि इतनी रही कि इनका निरस्तीकरण जारी नहीं किया गया। सूत्रों के अनुसार, कुलदीप भारद्वाज द्वारा मुख्यालय पर काफी समय से लेखा का कार्य किया जाता है। शिक्षकों के वेतन भी कुलदीप भारद्वाज द्वारा ही बनाए जाते हैं।

दागी बाबू पर लगातार मेहरबान विभागीय अधिकारी

विभाग में दागी बाबू का तिलिस्म इतना गहरा हो चुका है कि विभागीय मंत्री से लेकर विभागीय सचिव तक लगातार शिकायतों के बावजूद उसका पत्ता तक नहीं हिला है। उसके खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें हुई। नियम विरुद्ध अटैचमेंट की शिकायत हुई। उसके नौकरी पर भी नियमों को दरकिनार करके तैनाती देने की शिकायत हो चुकी है। इतने कारनामों के बावजूद जिले के विभागीय अधिकारी उस पर लगातार मेहरबान बने हुए हैं। जिन शिक्षकों का निरस्तीकरण नहीं हुआ, कथित रूप से इसमें दागी बाबू की सांठगांठ की सूचनाएं दौड़ रही हैं।

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अछनेरा में भी शिक्षिका को मिला था नॉन एचआरए से एचआरए विद्यालय

बताया जा रहा है कि बीते वर्ष भी, वर्तमान बीएसए के कार्यकाल में ही ब्लॉक अछनेरा के गांव कासौटी विद्यालय में तैनात शिक्षिका को गांव मुरेंडा के विद्यालय में निलंबन उपरांत स्थानांतरित किया गया था जिस विद्यालय में शिक्षिका तैनात थी, वह नॉन एचआरए था, जबकि जहां उसको भेजा गया, वह एचआरए विद्यालय था।

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