सागर/दमोह, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक ही नाम की दो सगी बहनें अलग-अलग जिलों, सागर और दमोह, में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक के पद पर कार्यरत थीं। कमिश्नर कार्यालय में शिकायत मिलने के बाद हुई जांच में यह बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है।
एक बर्खास्त, दूसरी फरार
संयुक्त संचालक शिक्षा सागर, मनीष वर्मा ने दमोह जिले के पथरिया ब्लॉक की माध्यमिक शिक्षक रश्मि सोनी को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। वहीं, सागर में पदस्थ दूसरी बहन पर FIR दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन शिकायत के बाद से वह गायब है।
कैसे हुआ खुलासा?
यह पूरा मामला 17 नवंबर 2021 को कमिश्नर कार्यालय में मिली एक शिकायत से उजागर हुआ। शिकायत में बताया गया था कि शिक्षक के पद पर तैनात रश्मि सोनी नाम की दो बहनों के प्रमाणपत्र फर्जी हैं। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण सागर संभाग ने एक जांच समिति गठित की। प्रारंभिक जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि दोनों बहनें एक ही अंकसूची, जाति प्रमाण पत्र और निवास प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रही थीं।
जांच में यह भी पता चला कि उनकी बीए अंतिम वर्ष की अंकसूची भी फर्जी थी। राजीव गांधी शासकीय कॉलेज बंडा से प्राप्त अंकसूची का विश्वविद्यालय के अभिलेखों से कोई मिलान नहीं हुआ।
पदस्थापन और आगे की कार्रवाई
बताया गया है कि रश्मि सोनी पुत्री विजय सोनी के नाम से एक बहन प्राथमिक शिक्षक पद पर शासकीय प्राथमिक शाला खैराई, संकुल केंद्र शास. उमावि जरुआखेड़ा, विकासखंड राहतगढ़, जिला सागर में कार्यरत थी, जबकि दूसरी बहन माध्यमिक शिक्षक पद पर शासकीय माध्यमिक शाला सदगुवां, संकुल केंद्र शास. उमावि सदगुवां, विकासखंड पथरिया, जिला दमोह में कार्य कर रही थी।
संयुक्त संचालक शिक्षा मनीष वर्मा ने बताया कि 27 सितंबर 2022 को ही जिला शिक्षा अधिकारी दमोह को भेजकर माध्यमिक शिक्षक रश्मि सोनी पर FIR कराने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि, इसके बाद माध्यमिक शिक्षक एक महीने का वेतन कटने के बाद स्कूल से अनुपस्थित हो गईं। विभाग द्वारा उनके दमोह सहित अन्य पतों पर नोटिस भेजे गए।
नोटिस पर मारपीट और अभद्रता
मामले में एक और चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब माध्यमिक शिक्षक रश्मि सोनी के पति दीपेंद्र रतले, जो स्वयं शिक्षा विभाग में पदस्थ हैं और दमोह में निवास करते हैं, के यहां नोटिस तामील कराने के लिए भेजा गया। आरोप है कि दीपेंद्र रतले ने सरकारी कर्मचारियों के साथ मारपीट और अभद्र व्यवहार किया।
इस बड़े फर्जीवाड़े ने शिक्षा विभाग में नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और उम्मीद है कि इस मामले में आगे और भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।