आगरा: शिक्षा विभाग में कनिष्ठ बाबू का ‘भ्रष्टाचार साम्राज्य’, सात साल में आलीशान जीवन!

Jagannath Prasad
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आगरा। जनपद के बेसिक शिक्षा विभाग में एक कनिष्ठ बाबू के कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का मामला इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है। इस बाबू का रसूख इतना अधिक है कि विभागीय उच्चाधिकारियों के आदेश भी उसके आगे निष्प्रभावी साबित हो रहे हैं। मुख्यालय पर नियमों को ताक पर रखकर पिछले सात वर्षों से अटैचमेंट पर तैनात इस बाबू को उसकी मूल तैनाती पर वापस भेजने के लिए अनगिनत आदेश जारी हुए, लेकिन वे सभी महज कागजी कार्रवाई बनकर रह गए।

किरावली निवासी जमील कुरैशी ने इस गंभीर मामले की बिंदुवार शिकायत साक्ष्यों सहित केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. एसपी सिंह बघेल को सौंपी थी। जमील कुरैशी ने जनहित में केंद्रीय राज्यमंत्री से इस प्रकरण का संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई की मांग की थी। केंद्रीय राज्यमंत्री ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए जिलाधिकारी आगरा को पत्र लिखकर जांचोपरांत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, जिसके बाद यह मामला उच्च स्तर पर पहुंच गया है।

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सूत्रों के अनुसार, परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों से भी कम वेतन पाने वाले इस कनिष्ठ बाबू का रहन-सहन किसी शाही व्यक्ति से कम नहीं है। महंगी लग्जरी गाड़ियों में घूमना, आगरा के बड़े होटलों में पार्टियां करना और सोशल मीडिया पर अपनी शान-शौकत का प्रदर्शन करना उसका शौक बन चुका है। शास्त्रीपुरम जैसे पॉश इलाके में उसने कुछ वर्ष पूर्व ही एक आलीशान कोठी भी खरीदी है। शिकायतकर्ता के अनुसार, इस कनिष्ठ बाबू ने अपने भ्रष्टाचार के दम पर अकूत संपत्ति अर्जित की है।

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शिकायतों की अनदेखी से बेखौफ हुआ बाबू

केंद्रीय राज्यमंत्री को दी गई शिकायत के बाद यह भी खुलासा हुआ है कि इस कनिष्ठ बाबू के खिलाफ यह पहली शिकायत नहीं है। वह पहले एंटी करप्शन टीम द्वारा रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था और जेल भी जा चुका है। इसके बावजूद, उसे मुख्यालय पर अटैचमेंट पर महत्वपूर्ण पद सौंप दिए गए। इन पदों पर रहते हुए कथित भ्रष्टाचार का जो खेल खेला गया, उसमें शिक्षाधिकारियों की मौन सहमति भी शामिल बताई जा रही है।

डीसी ट्रेनिंग का भी हथिया लिया चार्ज

शिकायतकर्ता जमील कुरैशी ने कनिष्ठ बाबू को डीसी ट्रेनिंग जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति की भी जांच की मांग की है। शिकायतकर्ता के अनुसार, डीसी ट्रेनिंग सर्व शिक्षा अभियान से जुड़ा सबसे महत्वपूर्ण विभाग है और अपने निजी लाभ के लिए उसे यह पद सौंपकर हाल ही में बड़ा ‘खेल’ किया गया है। यदि इस पूरे प्रकरण की गहन जांच की जाए, तो कनिष्ठ बाबू के साथ-साथ कई शिक्षाधिकारी भी बेनकाब हो सकते हैं।

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