किराए की कमाई पर अब टैक्स नहीं छुपा पाएंगे मकान मालिक! नया नियम लागू, ऐसे समझें पूरा गणित और बचें जुर्माने से

Gaurangini Chaudhary
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किराए की कमाई पर अब टैक्स नहीं छुपा पाएंगे मकान मालिक! नया नियम लागू, ऐसे समझें पूरा गणित और बचें जुर्माने से

आगरा: अगर आप अपने घर को किराए पर देकर कमाई करने की सोच रहे हैं या पहले से ही कर रहे हैं, तो अब आपको अपनी डिजिटल आदतों पर एक बार फिर से नज़र डालनी होगी। केंद्र सरकार ने 1 नवंबर 2024 से एक नया टैक्स नियम लागू कर दिया है, जिसके तहत मकान मालिकों को किराए से होने वाली आमदनी को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में अनिवार्य रूप से दिखाना होगा। जो लोग पहले किराया रजिस्ट्रेशन और बिना टैक्स दिए चुपचाप कमाई कर लेते थे, अब वैसा करना आसान नहीं रहेगा।

क्या है नया नियम?

सरकार ने अब यह अनिवार्य कर दिया है कि जो भी व्यक्ति अपना घर, फ्लैट, दुकान या कोई भी रिहायशी संपत्ति किराए पर देता है, उसे उस आय को “Income from House Property” के तहत घोषित करना होगा। इसका सीधा मतलब यह है कि मकान मालिक को अब अपनी रेंटल इनकम को टैक्स रिटर्न में पूरी तरह दिखाना पड़ेगा, अन्यथा भारी जुर्माना लग सकता है।

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पहले क्या हो रहा था और क्यों आई सख्ती?

अब तक कई मकान मालिक अपने किराए की कमाई को छुपा लेते थे। न तो वे रेंट एग्रीमेंट कराते थे, न किराया रसीद देते थे और न ही आय की घोषणा करते थे। इससे सरकार को भारी टैक्स नुकसान हो रहा था और टैक्स चोरी का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा था। इसी को रोकने के लिए सरकार ने अब सख्ती बरतनी शुरू की है।

यह नियम 1 नवंबर 2024 से लागू हो चुका है, और वित्त वर्ष (FY) 2024-25 से इसका पालन अनिवार्य हो गया है। यानी जब भी आप आयकर रिटर्न (ITR) भरेंगे, आपको इस आय को भी उसमें शामिल करना पड़ेगा। अगर आपने ऐसा नहीं किया और इनकम छुपाई, तो आयकर विभाग आप पर भारी जुर्माना भी लगा सकता है।

“Income from House Property” क्या है और छूट कैसे मिलेगी?

“Income from House Property” आयकर अधिनियम की एक श्रेणी है, जिसके तहत किसी संपत्ति से होने वाली किराए की आमदनी को दिखाना होता है। इसमें दो स्थितियां होती हैं:

  • Self-Occupied Property (खुद के उपयोग में): इसमें कोई इनकम नहीं गिनी जाती।
  • Let-Out Property (किराए पर दी गई): इसमें किराए की पूरी आय गिनी जाती है और उस पर टैक्स बनता है।
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अगर आपको लग रहा है कि सारी कमाई टैक्स में चली जाएगी, तो घबराइए नहीं। सरकार ने कुछ राहत भी दी है। इस इनकम पर 30% तक का स्टैंडर्ड डिडक्शन दिया जाएगा। यानी, अगर आप सालभर में किराए से ₹2 लाख कमाते हैं, तो ₹60,000 की छूट आपको अपने आप मिल जाएगी। इसके बाद जो राशि बचती है, उसी पर टैक्स लगेगा।

रेंट एग्रीमेंट और रसीद अनिवार्य, नहीं मानने पर होगी कड़ी कार्रवाई

नए नियमों के तहत मकान मालिक को अब:

  • किराए की रसीद बनानी होगी।
  • रेंट एग्रीमेंट करवाना होगा।
  • किराएदार की पूरी जानकारी रखनी होगी।
  • PAN नंबर या आधार नंबर जैसी डिटेल भी मांगी जा सकती है।

इन सब चीजों को नजरअंदाज करना अब मुश्किल होगा, क्योंकि इनकम टैक्स विभाग इन आंकड़ों को आधार कार्ड, बैंक ट्रांजैक्शन और रजिस्ट्री दस्तावेजों से क्रॉसचेक कर सकता है।

अगर कोई मकान मालिक अब भी आय छुपाता है, तो उसे भुगतने पड़ सकते हैं ये नतीजे:

  • ₹10,000 तक का जुर्माना।
  • भविष्य में स्क्रूटनी में फंसने का खतरा।
  • ब्याज समेत टैक्स की भरपाई।
  • गंभीर मामलों में कानूनी कार्रवाई।

इसलिए, बेहतर यही है कि समय रहते अपनी किराए की कमाई को सही तरीके से टैक्स में दिखाएं।

सरकार का मकसद और किराएदारों पर असर

सरकार इस नियम के ज़रिए टैक्स चोरी रोकना, टैक्स बेस बढ़ाना, हर प्रॉपर्टी से हो रही कमाई का ट्रैक रखना और पारदर्शिता लाना चाहती है। इससे सरकार को ज़्यादा रेवेन्यू मिलेगा, जिसे पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य विकास कार्यों में लगाया जा सकेगा।

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इस नियम का असर किराएदारों पर भी पड़ेगा। अब मकान मालिक उनसे साफ-साफ रेंट एग्रीमेंट करने को कहेंगे। कई बार मकान मालिक किराए में टैक्स शामिल करके किराया बढ़ा सकते हैं। साथ ही, अगर आप कंपनी या ऑफिस के लिए मकान किराए पर ले रहे हैं, तो उसका HRA क्लेम करने में पूरी डिटेल देना अनिवार्य होगा।

सरकार का ये नया नियम मकान मालिकों के लिए एक बड़ी चेतावनी है। अब किराए से कमाई करना है, तो उसकी ईमानदारी से घोषणा भी करनी होगी। हालांकि इसमें राहत भी है – 30% तक की छूट मिल रही है, लेकिन नियमों का पालन जरूरी है। तो अगर आप मकान किराए पर दे रहे हैं या देने की सोच रहे हैं, तो रजिस्ट्रेशन, रेंट एग्रीमेंट और टैक्स फाइलिंग की तैयारी अभी से शुरू कर दें।

 

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