नई दिल्ली: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक अभिनव और पर्यावरण-अनुकूल योजना की शुरुआत की है, जिसके तहत अब पुराने, फटे और चलन से बाहर हो चुके नोटों को जलाया या ज़मीन में दबाया नहीं जाएगा। इसके बजाय, इन नोटों को रीसायकल करके फर्नीचर जैसे कुर्सी, टेबल और शेल्फ़ तैयार किए जाएंगे। यह कदम पुराने नोटों के सही उपयोग और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा बदलाव है।
पुराने नोटों का होगा अब सही इस्तेमाल
अभी तक, पुराने और फटे नोटों को या तो जला दिया जाता था या गड्ढों में दबा दिया जाता था, जिससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुँचता था। लेकिन अब RBI ने निर्णय लिया है कि इन बेकार नोटों को फर्नीचर निर्माण में उपयोग कर एक इको-फ्रेंडली समाधान तैयार किया जाएगा।
कैसे बनेंगे नोटों से फर्नीचर?
इस योजना के तहत, सबसे पहले फटे नोटों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाएगा। फिर उन्हें विशेष तकनीक से गूंथकर पार्टिकल बोर्ड (Particle Board) में बदला जाएगा। ये बोर्ड लकड़ी के विकल्प के रूप में कुर्सी, टेबल, अलमारी जैसे घरेलू फर्नीचर में इस्तेमाल किए जाएंगे। यह तकनीक भारत के उन्नत तकनीकी संस्थानों की मदद से विकसित की गई है और यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है।
हर साल इकट्ठा होते हैं 15,000 टन फटे नोट
RBI की 2024-25 की रिपोर्ट के अनुसार, हर वर्ष भारत में लगभग 15,000 टन पुराने और खराब हो चुके नोट इकट्ठे होते हैं। पहले इन्हें बेकार समझा जाता था, लेकिन अब इनसे उपयोगी उत्पाद बनने का रास्ता खुल गया है। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ कचरा प्रबंधन की दिशा में भी बड़ा सुधार होगा।
क्यों ज़रूरी है यह रीसाइक्लिंग योजना?
यह सिर्फ एक तकनीकी नवाचार नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई बड़े उद्देश्य हैं:
- पर्यावरण की रक्षा: पुराने नोटों को जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण और ज़मीन में दबाने से मिट्टी की गुणवत्ता पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को रोकना।
- घरेलू फर्नीचर उद्योग को नया विकल्प: लकड़ी और अन्य कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के बीच एक सस्ता, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प प्रदान करना।
- कच्चे माल की लागत में कमी: फर्नीचर निर्माताओं के लिए लागत प्रभावी समाधान।
- सतत विकास और नवाचार को बढ़ावा: कचरे को संसाधन में बदलने की प्रेरणा।
कंपनियों को किया गया शामिल, जल्द दिखेगा बाज़ार में असर
RBI ने इस योजना को विस्तारित करने के लिए कई कंपनियों को जोड़ा है। कुछ कंपनियों ने पार्टिकल बोर्ड तैयार करने का काम भी शुरू कर दिया है। आने वाले समय में बाज़ार में ऐसे फर्नीचर की उपलब्धता बढ़ेगी, जो पुराने नोटों से बनाए गए होंगे।
यह योजना एक सकारात्मक बदलाव है, जो दिखाता है कि सही सोच और तकनीक से कचरा भी उपयोगी बन सकता है। पुराने नोट अब सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि घर की सजावट और उपयोग का हिस्सा बनेंगे, और आने वाली पीढ़ियों के लिए जिम्मेदार नवाचार का एक प्रेरणादायक उदाहरण बनेंगे।