पिनाहट । गुरुवार को कस्बा पिनाहट की प्राचीन रामलीला मैदान में सीता हरण व जटायु वध की लीला का सुंदर मंचन किया गया। सीता हरण व जटायु वध की लीला को देखने के लिए दर्शकों की भारी भीड़ रामलीला मैदान में जुटी रही।
जानकारी के अनुसार गुरुवार को कस्बे की 280 साल पुरानी ऐतिहासिक प्राचीन रामलीला में भगवान श्री राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ बनवास होने पर जंगलों में जाकर रहने लगते हैं। जहां उनकी भेंट राक्षसों से हो जाती है। तो लक्ष्मण जी शूर्पणखा के नाक कान काट देते हैं । रावण अपनी बहन शूर्पणखा के नाक कान काटने का बदला लेने के लिए भगवान श्री रामचंद्र जी की जंगल बनी कुटिया के पास पहुंच जाता है। और मायावी सोने का मृग बनकर माता सीता जी की कुटिया के आसपास घूमने फिरने लगता है।माता सीता श्री रामचंद्र जी से सोने के मृग को पकड़ने के लिए कहती है। भगवान श्री रामचंद्र जी लक्ष्मण जी को सीता जी के पास कुटिया पर छोड़कर मायावी मृग को पकड़ने के लिए घरो जंगलो में चले जाते हैं। भगवान श्री रामचंद्र जी के आवाज में मायावी मृग चीखने चिल्लाने लगता है। माता सीता डर जाती हैं। और लक्ष्मण को भाई रामचंद्र जी के प्राण संकट में होने का हवाला देकर उन्हें उनकी रक्षा के लिए जंगल में जाने के लिए विवश कर देती हैं। लक्ष्मण जी कुटिया पर माता सीता को अकेला छोड़कर जंगल की तरफ चली जाते है। और कुटिया पर लक्ष्मण रेखा खींच देते है। उसके बाद मायावी रावण साधु का भेष धारण कर भिक्षा मांगने के लिए कुटिया पर पहुंच जाता है। और इस दौरान सीता जी लक्ष्मण रेखा को पार कर साधु बने रावण को भिक्षा देने के लिए बाहर आ जाती है। तभी साधु बना रावण अपने असली भेष में आ जाता है।माता सीता का विमान से हरण कर आकाश मार्ग से लंका की तरफ जाने लगता है। तभी जटायु का सामना रावण से होता है। युद्ध में रावण जटायु के प्राण हर लेता है। इस वियोगमयी लीला को देखकर सभी दर्शक भाव विभोर हो जाते है। और आंखों से आंसू बहने लगते हैं।
इस दौरान कमेटी अध्यक्ष राम नरेश परिहार, व्यास ब्रह्मानंद पाठक, रामनिवास शर्मा, मनोज तिवारी, विष्णुकांत दिवेदी, श्यामसुंदर महेरे, भगवान सिंह परिहार, श्यामसुंदर शर्मा, , महावीर ओझा, विनोद अरेले, अतुल महेरे, विजयपाल परिहार एवं सैकड़ों की संख्या मे दूर दराज के ग्रामीण मौजूद थे।