आगरा। हर साल 21 अगस्त को मनाए जाने वाले वरिष्ठ नागरिक दिवस की पूर्व संध्या पर, लोक स्वर आगरा के राजीव गुप्ता ‘जनस्नेही’ ने वरिष्ठ नागरिकों के जीवन, उनके योगदान और उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को जारी किए गए एक विज्ञप्ति में कहा कि वरिष्ठ नागरिक हमारे समाज की नींव हैं और उनका अनुभव हमारी सबसे बड़ी पूंजी है।
अनुभवों का भंडार: वटवृक्ष हैं हमारे बुजुर्ग
उम्र के साथ भले ही शारीरिक क्षमता और आर्थिक शक्ति कम हो जाए, लेकिन अनुभवों का भंडार बढ़ता है। हमारे बुजुर्गों ने ही हमें पैदा करने से लेकर जीवन में सक्षम बनाने तक का सफर तय करने में मदद की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह एक वटवृक्ष अपने नीचे कई पौधों को पनपने का अवसर देता है, उसी तरह हमारे बुजुर्गों की में ही नई पीढ़ियां पल्लवित होती हैं।
समाज में घटती बातचीत, बढ़ रही है अकेलेपन की समस्या
आज के समाज में वरिष्ठ नागरिकों के लिए आपस में मिलने-जुलने, बातचीत करने और अपने अनुभव साझा करने की जगहें कम होती जा रही हैं। इसका सीधा असर उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। इसी अकेलेपन को दूर करने के लिए विभिन्न शहरों में कॉफी क्लब, चाय क्लब और पार्क क्लब जैसे आयोजन किए जा रहे हैं। कुछ गैर-सरकारी संगठन (NGOs) भी बुजुर्गों के लिए हर महीने खास मुलाकातें आयोजित करते हैं, जहाँ वे अपने शौक (जैसे गज़ल, संगीत या ताश) को पूरा कर पाते हैं।
आगरा की ‘गोल्डन एज’ संस्था बनी सहारा

आगरा में वरिष्ठ नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयासों का जिक्र करते हुए राजीव गुप्ता ने ‘गोल्डन एज’ संस्था की तारीफ की। स्वर्गीय डॉ. आर. एम. मल्होत्रा और स्वर्गीय सुरेश सुराना द्वारा 2010 में स्थापित यह संस्था वरिष्ठ नागरिकों को एक साथ लाने और खुशियां बांटने का काम कर रही है। इसके अलावा, श्रीमती रश्मि मगन भी महिलाओं के लिए एक विशेष समूह चलाती हैं।
सरकार से सुविधाओं और सम्मान की मांग
भारत में वरिष्ठ नागरिकों को वह सम्मान और सुविधाएं नहीं मिलतीं जिसके वे हकदार हैं। उनकी आय सीमित होती है और शारीरिक कमजोरी के कारण उनका आवागमन भी कम होता है। इसलिए, सरकार को उनकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उन्हें मुफ्त सुविधाएं देनी चाहिए, क्योंकि वे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।
आने वाली पीढ़ियों के लिए अनुभवों का संकलन जरूरी
वरिष्ठ नागरिकों को वरिष्ठ नागरिक दिवस की बधाई देते हुए अपील की कि लेखकों, समाजसेवियों और मीडिया हाउस को आगे बढ़कर इन बुजुर्गों की जीवनी और अनुभवों को इकट्ठा करना चाहिए। ऐसा करने से आने वाली पीढ़ियां न केवल सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने का ज्ञान प्राप्त कर सकेंगी, बल्कि उन्हें अपने जीवन में सही दिशा भी मिलेगी।
