आगरा-पारिजात संस्था ने सूर सरोवर पक्षी विहार कीठम ,आगरा और पटना पक्षी विहार जलेसर के साथ मिलकर जंगल के खाली पड़े बाहरी स्थान पर ऑक्सीजन बॉम्ब फेंके ।
पारिजात की अध्यक्षा डॉ अनुराधा चौहान ने बताया की ऑक्सीजन बॉम्ब के अंदर अलग अलग प्रजाती के बीज है जो की यहां की जलवायु के अनुसार उचित है जिसमे नीम,जामुन, सहजन,सेमल, चिलबिल और अमलतास के बीज शामिल है।
उन्होंने बताया मानसून ऑक्सीजन बॉम्ब फैंकने का उचित समय है, जैसे ही ये नमी के संपर्क में आते है अंकुरित होना शुरू हो जाते। कीठम का बाहरी क्षेत्र चुनने के पीछे का अहम कारण था वहां आस पास फल वा फूल के पेड़ो की कमी है इस प्रकार के पेड़ होंगे तो नए पक्षी और पॉलिनेटर अधिक संख्या में आकर्षित होंगे।
जलेसर के वनाधिकारी शुभम आनंद जी ने बताया कि यह हरियाली लाने का विभाग का ये नया तरीका है। वनमंडल के अंतर्गत कई ऐसी जगह है जहां पौधे या पेड़ नहीं है। यहां गड्डा खोदकर पौधरोपण करना कठिन होता है। इस विधि से यह क्षेत्र हरा- भरा हो जाएगा।
जलेसर वन विभाग की मदद से श्री कृष्णानंद सरस्वती विद्या मंदिर में बच्चों को ऑक्सीजन बॉम्ब बनाना सिखाया और बनी हुए सीड बॉम्ब भी बच्चों को दिए और उनसे कहा वो अपने खेत की मेड़ के पास इसे लगाए।
पारिजात के सचिव डॉ धीरज मोहन सिंघल ने बताया कि उनकी संस्था ने 5 जून के बाद से ही ऑक्सीजन बॉम्ब बनाने का काम शुरू कर दिया था। अभी तक 5000 ऑक्सीजन बॉम्ब का निर्माण हो चुका है जिसमे से 3000 ऑक्सिजन बॉम हमने इस दो दिवसीय कार्यक्रम में फेंक दिए है।
वन विभाग के कर्मचारी जितेंद्र कुंतल ने ऑक्सीजन बॉम्ब देखकर कहा ये कम समय में अधिक हरियाली लाने का बड़ा ही नायब तरीका है।
वॉलंटियर प्रियकांत , नूपुर,आर्यन, विकास और दीप्ति ऑक्सीजन बॉम्ब को लेकर बड़े ही उत्साहित थे. खेल खेल में एक बड़े मैदान को कुछ ही पल में ऑक्सीजन बॉम्ब से भर दिया।
डी एफ ओ आरुषि , रेंज ऑफिसर अनामिका सिंह और रेंज ऑफिसर मनीषा कुकरेती का विशेष आभार जिनकी सहायता से ये कार्य संभव हो पाया।