अग्रभारत,
आगरा-विश्व पर्यावरण दिवस पर पारिजात संस्था ने वन विभाग के साथ मिलकर क्षतिग्रस्त होते परिस्थितिकी तंत्र को आसान तरीके से और जल्दी कैसे बहाल कर सकते है इसके लिए ऑक्सीजन बॉम्ब बनाने की कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में पारिजात की अध्यक्ष डॉ अनुराधा चौहान ने बताया की पृथ्वी की रक्षा करना और स्थायी प्रथाओं से उसे संरक्षित करना ये हम सभी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी है।
समय निकलता जा रहा है और हमे 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को आधा करना होगा इस पर विचार करना होगा। डॉ चौहान ने इस समस्या से निपटने के लिए ऑक्सीजन बॉम्ब बनाकर उन्हें मानसून आने पर जगह जगह फेंककर कम समय में अधिक प्लांटेशन का आसान तरीका बताया।
पहले उन्होंने ऑक्सीजन बॉम्ब क्या होता है और कैसे बनाते है ये वहां उपस्थित वालंटियर और वन विभाग के कर्मचारियों को बताया।
उन्होंने बताया कि ऑक्सिजन बॉम्ब , मिट्टी और बीजों से बनी एक छोटे आकार की गेंद होती है, जिसका उपयोग उन क्षेत्रों को फिर से लगाने के लिए किया जाता है जहां प्राकृतिक वनस्पति नष्ट हो गई है। ऑक्सिजन बॉम्ब बनाने में नेटिव पौधों के बीजों का उपयोग किया जाता है।
बीजों को मिट्टी और खाद सामग्री की गेंद बनाकर उसके अंदर बंद कर दिया जाता है, और उपयुक्त स्थानों पर फेंक दिया जाता है। अनुकूल वातावरण में बीज अंकुरित होते हैं और अंकुरित होकर वृक्ष बन जाते हैं।
“वन आवरण में कमी के कारण मानव-पशु संघर्ष के बढ़ते मामले हैं। हमारा प्रयास इस मुद्दे को हल करने के लिए वन आवरण को बढ़ाना है। जब जंगल के अंदर बीज अंकुरित होते हैं और बढ़ते हैं तो पक्षियों और जानवरों को फायदा होगा।
सेक्रेटरी डॉ धीरज मोहन सिंघल ने बताया की इस मानसून से पहले 3000 ऑक्सीजन बॉम्ब बना कर फेंकने का लक्ष्य है। डॉ साक्षी वॉकर ने बताया की जल्दी ही हम इसे स्कूल के बच्चों को सीखने की कार्यशाला का आयोजन करेंगे।
कार्यशाला में आर्यन,दिप्ती चौहान,नूपुर जैन,अनन्या गुप्ता,विकास सिंह, वन विभाग से अशोक कुमार शर्मा जी,आशीष ढाका, वा अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।
ऑक्सीजन बॉम्ब से होगा वृक्षारोपण
प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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