आगरा, उत्तर प्रदेश: ताजगंज थाने की एकता चौकी पर नौबरी के युवकों को थर्ड डिग्री टॉर्चर देने के आरोपी तत्कालीन चौकी इंचार्ज नीलेश शर्मा को ‘दंडस्वरूप’ हटाया जाना अब एक दिखावा मात्र लग रहा है। दरअसल, इसी दारोगा को अब रुनकता चौकी का इंचार्ज बना दिया गया है। पुलिस अधिकारियों ने यह नियुक्ति पिछले दरवाजे से की है, जिससे कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
ट्रांसफर लिस्ट और प्रेस नोट में विरोधाभास
4 जून की ट्रांसफर लिस्ट में दारोगा नीलेश शर्मा को थाना सिकंदरा में सेकंड अफसर के रूप में पोस्टिंग बताई गई थी। लोग भी यही मान रहे थे कि वह सिकंदरा थाने में तैनात हैं, लेकिन अब सिकंदरा पुलिस द्वारा जारी एक ‘गुड वर्क’ प्रेस नोट में नीलेश शर्मा को ‘चौकी प्रभारी रुनकता’ दर्शाया गया है। यह विरोधाभास दर्शाता है कि नीलेश शर्मा को चुपके से रुनकता चौकी का प्रभार दिया गया है।
थर्ड डिग्री टॉर्चर का मामला और विवाद
दारोगा नीलेश शर्मा का नाम विगत 14 मई को सुर्खियों में आया था। फतेहाबाद के सिकरारा और इसौली गांव में महाराणा प्रताप जयंती कार्यक्रम होना था, जिसमें ओकेन्द्र राणा को शामिल होना था। अनुमति न होने के कारण पुलिस ने कार्यक्रम रद्द करवा दिया। इसके बाद ओकेन्द्र राणा नौबरी गांव पहुंचे थे, जहां पुलिस उन्हें एसीपी अरीब अहमद और इंस्पेक्टर जसवीर सिरोही के सामने भी गिरफ्तार नहीं कर सकी। इसके बाद पुलिस ने वहां मौजूद युवकों पर लाठीचार्ज किया और कुछ को हिरासत में लिया। हिरासत में लिए गए युवकों ने चौकी प्रभारी एकता नीलेश शर्मा और अन्य पुलिसकर्मियों पर थर्ड डिग्री देने के गंभीर आरोप लगाए थे। मामला तूल पकड़ने पर नीलेश शर्मा को एकता चौकी से हटा दिया गया था।
पदोन्नति या ‘इनाम’? उठे गंभीर सवाल
थर्ड डिग्री के आरोपों के बावजूद नीलेश शर्मा को रुनकता चौकी प्रभारी जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त करना कई सवाल खड़े करता है:
- क्या यह दंड नहीं, बल्कि एक पदोन्नति है? थर्ड डिग्री जैसे गंभीर आरोपों वाले दारोगा को चौकी प्रभारी बनाना क्या एक तरह का ‘इनाम’ है?
- रुनकता चौकी क्यों रही खाली? 17 मई को रुनकता चौकी पर तैनात प्रभारी गुरविंदर को थानाध्यक्ष बरहन बनाया गया था, जिसके बाद से यह चौकी खाली थी। क्या जानबूझकर नीलेश शर्मा के छुट्टी से लौटने का इंतजार किया जा रहा था?
- पारदर्शिता का अभाव: ट्रांसफर लिस्ट में सिकंदरा में पोस्टिंग दिखाकर, और फिर गोपनीय तरीके से रुनकता चौकी प्रभारी बनाना पुलिस प्रशासन की पारदर्शिता पर सवालिया निशान लगाता है।