झाँसी: झाँसी में सुहागिन महिलाओं ने पारंपरिक उत्साह और श्रद्धा के साथ वट सावित्री व्रत का अनुष्ठान किया। पति की लंबी आयु और जन्म-जन्म का साथ निभाने की कामना करते हुए, महिलाओं ने वटवृक्ष पर कच्चा सूत लपेटा और परिक्रमा की। यह जानकारी पत्रकार सुल्तान आब्दी ने दी।
सोलह श्रृंगार कर मंदिरों में पहुंची महिलाएं
सुबह से ही नगर के मंदिरों और वट वृक्षों के नीचे सुहागिनों की भीड़ उमड़ पड़ी। दुल्हन की तरह सोलह श्रृंगार कर तैयार महिलाओं ने विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की और निर्जला उपवास रखा। पूजा के बाद सुहागिनों ने सत्यवान और सावित्री की कथा भी सुनी, जो इस व्रत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
महिलाओं ने वट वृक्ष की 7, 11 या 21 बार परिक्रमा कर पूजा संपन्न की। कच्चे सूत के साथ परिक्रमा करते हुए, उन्होंने चना, पकवान, मौसमी फल और सुहाग का पिटारा भी वट वृक्ष को अर्पित किया।
वट वृक्ष का पौराणिक महत्व
मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे ही देवी सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस मांगे थे। वट वृक्ष की जड़ों में भगवान ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तों में शिव का वास माना जाता है, इसलिए इसे तीनों देवों का प्रतीक मानकर पूजा जाता है। सुबह से ही विभिन्न स्थानों पर वट वृक्षों के नीचे महिलाओं की भारी भीड़ देखी गई, जो अपनी पूजा सामग्री लेकर बारी-बारी से पूजा और परिक्रमा करती रहीं।