Sour weed : कई रोगों के उपचार में उपयोगी है उटंगन के तटीय क्षेत्र में उगने वाली तिनपतिया

Dharmender Singh Malik
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उटंगन नदी का जीवित होना न केवल, ब्लैक ज़ोन और ग्राउंड वॉटर को रीचार्ज करना ही नहीं है, बल्कि उसके चारों ओर उगने वाली औषधीय गुणों से भरपूर वनस्पति तिनपतिया (Sour weed) को भी जीवित रखना होगा।

क्या है तिनपतिया (Sour weed)

वनस्पति शास्त्र में सौवर वीड (Sour weed), सौवर ग्रास (Sour grass) के रूप में पहचान रखने वाली इस घास का उपयोग अनेक बीमारियों को दूर करने के अलावा नशेबाजी की लत छुडवाने में भी यह उपयोगी मानी जाती है।

वैद्यिक जरूरत का उत्पाद होने के कारण इसकी डिमांड पूरे साल बनी रहती है।
इसका सबसे पहला उल्लेख 1888 में आगरा के संबंध में प्रकाशित एक पुस्तक में मिलता है,अब तो इस उत्पाद के बारे में इंटरनेट पर भरपूर जानकारियां हैं। आदतन नशेबाजों को उनकी आदत से छुटकारा दिलवाने में तिनपतिया का अर्क काफी उपयोगी माना जाता है।

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तिनपतिया (Sour weed) के फायदे

चांगेरी या तिनपतिया (Indian Sorrel) ,ये घास की तरह ही एक खरपतवार है। इससे मिलने वाले फायदे चौंकाने वाले हैं। इसके औषधीय गुणों को आयुर्वेद में भी स्वीकार किया गया है। इसलिए इसे आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी का दर्जा दिया गया। स्वाद में खट्टी चांगेरी विटामिन -सी से भरपूर होती है। इसे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यह एक नहीं, बल्कि कई बीमारियों को दूर करने में मददगार है, जैसे पिंपल्स और काले धब्बे करे दूर ; कफ, साइनस और माइग्रेन में कारगर होती है; सांस की बदबू दूर कर दांतों-मसूड़ों के ल‍िए सेहतमंद; पाइल्स के इलाज में मददगार; भूख बढ़ने के साथ हाजमा रहेगा दुरुस्त; ल्यूकोरिया रोग से पाएं मुक्ति; शरीर के मस्सों से मिलती है निजात; लिवर को मजबूत करने में मददगार

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सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा की ये मांग

एक तरफ देश की सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन कर रही है, दूसरी तरफ औषधीय गुणों से भरपूर वनस्पति का संरक्षण नहीं किया जा रहा । सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा लंबे समय से , उटंगन में रेहावली पर बांध बनाकर यमुना नदी के उफान कर पहुंचे पानी का संचय किया जाये , मांग कर रही है। आगरा में रोजगार और उत्पादन के नए विकल्प स्थापित करने में उटंगन पर बना दोनों तरफ खुलने वाला बांध बहुत कारगर होगा। विकास की दृष्टि से फ़तेहाबाद, पिनहाट, बाह में रोजगार पारक विकल्प के लिए, औषधीय गुणों से भरपूर वनस्पति आधारित खेती और आयुर्वेदिक दवा बनाने को प्रोहत्सन देना जरूरी है।
सिंचाई विभाग, प्रदेश और केंद्र सरकार के “जल शक्ति ” मंत्रालय को नई सोच के साथ कार्य करना होगा। तभी मिलेगा आगरा के विकास का नया रास्ता ।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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