आगरा: सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज (एसएनएमसी) में चिकित्सा शिक्षा को और अधिक बेहतर तथा आधुनिक बनाने के उद्देश्य से मेडिकल एजुकेशन यूनिट (एमईयू) के तत्वावधान में “बेसिक कोर्स इन मेडिकल एजुकेशन” विषय पर तीन दिवसीय महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन आज, 22 अप्रैल से शुरू हो गया है, जो 24 अप्रैल तक चलेगी। इस कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ मंगलवार को सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस तीन दिवसीय आयोजन का मुख्य उद्देश्य चिकित्सा शिक्षा के स्तर को और ऊंचा उठाना है। इसके साथ ही, इसका लक्ष्य मेडिकल फैकल्टी को नवीनतम शिक्षण विधियों और तकनीकी कौशल से अवगत कराना है, ताकि वे छात्रों की सीखने और समझने की प्रक्रिया को सुचारू रूप से सुनिश्चित कर सकें।
इस गहन कार्यशाला में कॉलेज के 30 संकाय सदस्यों को योग्यता आधारित चिकित्सा शिक्षा (Competency Based Medical Education – CBME) की अवधारणा से परिचित कराया जाएगा। इसके अतिरिक्त, उन्हें प्रभावी शिक्षण-अधिगम विधियों में सुधार करने और छात्रों के मूल्यांकन की तकनीकों को और अधिक उन्नत बनाने के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की जाएगी।
कार्यशाला के पहले दिन प्रतिभागियों ने सीखने की प्रक्रिया की बारीकियों, सीखने के विभिन्न डोमेन (ज्ञान, कौशल, अभिवृत्ति) और सीखने के मूलभूत सिद्धांतों का गहराई से पता लगाया। उन्होंने योग्यता आधारित चिकित्सा शिक्षा (सीबीएमई) के व्यापक ढांचे के भीतर लक्ष्यों, शिक्षकों की भूमिकाओं और छात्रों की दक्षताओं पर विशेषज्ञों से बहुमूल्य अनुभव प्राप्त किए।
इस महत्वपूर्ण वर्कशॉप में एनएमसी (राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) के ऑब्जर्वर डॉ. मुशर्रफ हुसैन, जो कि हमदर्द इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, नई दिल्ली के सर्जरी विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष हैं, एमईयू कोऑर्डिनेटर डॉ. रेनू अग्रवाल, एमईयू के सदस्य डॉ. शिखा सिंह, डॉ. के. दिनकर, डॉ. दीपा रानी, और करिकुलम कमेटी के सदस्य डॉ. दिव्या श्रीवास्तव तथा डॉ. हरेंद्र कुमार ने “बेसिक कोर्स इन मेडिकल एजुकेशन वर्कशॉप” के पहले दिन अपने विशेषज्ञ व्याख्यान दिए। इस अवसर पर एमईयू के अन्य सदस्य डॉ. विशाल सिंह, डॉ. अनुभव गोयल, डॉ. आरती अग्रवाल, डॉ. अलका यादव आदि भी उपस्थित रहे और उन्होंने कार्यशाला को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। यह कार्यशाला चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे भविष्य में डॉक्टरों की गुणवत्ता और शिक्षण विधियों में सुधार की उम्मीद है।