अयोध्या: देश की सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक चेतना को अपनी लेखनी से जीवंत कर देने वाले अयोध्या के मृगेंद्र राज पांडेय ने एक बार फिर पूरे देश को गर्व से भर दिया है। महज 18 वर्ष की उम्र में देश के 51 प्रसिद्ध मंदिरों पर पुस्तक लिखकर उन्होंने अपना 11वां विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी वार्ड निवासी मृगेंद्र को लोग अब “आज का अभिमन्यु” कहकर पुकारते हैं। उनके शब्दों में केवल वर्णन नहीं, बल्कि मंदिरों की आत्मा, पौराणिक गाथाएं, स्थापत्य की गरिमा और आस्था की अविरल धारा बहती है। यह उपलब्धि केवल लेखनी की नहीं, बल्कि श्रद्धा, साधना और संस्कारों की भी है।
पुस्तक में शामिल प्रमुख मंदिर और मृगेंद्र की प्रतिभा का सफर
उनकी इस ऐतिहासिक पुस्तक में केदारनाथ, सोमनाथ, सिद्धिविनायक, बद्रीनाथ, कोणार्क का सूर्य मंदिर, खजुराहो, शिरडी साईं बाबा, महाबोधि मंदिर, सांची स्तूप और रंगनाथस्वामी मंदिर जैसे भारत के तमाम बड़े और प्रसिद्ध मंदिर शामिल हैं।
मृगेंद्र की प्रतिभा बचपन से ही चमत्कारी रही है। उन्होंने ढाई साल की उम्र में टीवी चैनलों पर धारा प्रवाह जवाब देकर सभी को चौंका दिया था। पांच साल की उम्र में उनका पहला काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ था और 2013 में उन्हें ‘दुनिया के सबसे कम उम्र के कवि’ का विश्व रिकॉर्ड मिला था। अब तक वे नौ अलग-अलग विषयों पर किताबें लिख चुके हैं, जिससे उनका नाम ‘यंगेस्ट मल्टी डाइमेंशनल राइटर ऑफ द वर्ल्ड’ के तौर पर भी विश्व रिकॉर्ड में दर्ज है।
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत
जहां आज के युवा सोशल मीडिया और डिजिटल दुनिया में उलझे हुए हैं, वहीं मृगेंद्र राज अपनी कलम से भारत की जड़ों को सींच रहे हैं। वे आज के समय में उन बिरले युवाओं में से हैं जो ज्ञान, साहित्य और संस्कृति को अपने जीवन का आधार मानते हैं। उनकी यह उपलब्धि न केवल अयोध्या बल्कि पूरे भारत की सांस्कृतिक चेतना के लिए एक गर्व का क्षण है और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत है।