वॉशिंगटन डी.सी.: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच चल रहे तनाव को लेकर अपने हालिया बयान का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें “कभी-कभी कठोर भाषा का इस्तेमाल करना पड़ता है।” ट्रंप ने दोनों देशों के बीच की लड़ाई की तुलना “स्कूल के मैदान में झगड़ते दो बच्चों” से की, जिस पर NATO महासचिव मार्क रुटे हंसते हुए नज़र आए।
‘दो-तीन मिनट लड़ने दो, फिर रोकना आसान’
ट्रंप ने अपने बयान में कहा, “इजरायल और ईरान अब एक-दूसरे से नहीं लड़ेंगे। वे लड़ चुके हैं। जैसे दो बच्चे स्कूल में झगड़ते हैं, वैसे ही। आप उन्हें रोक नहीं सकते। उन्हें दो-तीन मिनट तक लड़ने दीजिए, फिर उन्हें रोकना आसान होता है।” उनके इस बयान पर NATO महासचिव मार्क रुटे ने हंसते हुए टिप्पणी की, “और फिर पापा को कभी-कभी सख्त भाषा का इस्तेमाल करना पड़ता है।” ट्रंप की यह तुलना और NATO महासचिव की प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर खूब चर्चा का विषय बनी हुई है।
ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर ट्रंप की सख्त चेतावनी
ट्रंप ने ईरान को उसके परमाणु कार्यक्रम को दोबारा शुरू करने को लेकर सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “ईरान अब यूरेनियम एनरिचमेंट नहीं करेगा।” पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने आगे कहा, “ईरान आने वाले समय में कोई परमाणु बम नहीं बनाने वाला… हमें नहीं लगता कि ईरान के पास साइट्स से परमाणु सामग्री निकालने का पर्याप्त समय था। मेरा मानना है कि ये (हमला) एक जबरदस्त झटका था।” ट्रंप के इन बयानों को ईरान पर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
‘फेक न्यूज’ और ‘कमजोर दिखाने की साजिश’ का आरोप
इससे पहले दिन में ट्रंप ने उन खबरों को ‘फेक न्यूज’ करार दिया, जिनमें दावा किया गया था कि अमेरिकी हमलों से पहले ईरानी परमाणु ठिकानों से 400 किलोग्राम यूरेनियम हटा लिया गया था। उन्होंने इन खबरों को सिरे से खारिज कर दिया। इस बीच, व्हाइट हाउस ने भी बयान जारी कर कहा कि ये खबरें राष्ट्रपति को कमजोर दिखाने की साजिश का हिस्सा हैं। ट्रंप प्रशासन लगातार ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर सख्त रुख अपनाए हुए है और किसी भी प्रकार के ‘झूठे’ दावों को खारिज कर रहा है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप के इस “कठोर भाषा” वाले बचाव और ईरान पर उनकी चेतावनी का अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर क्या असर पड़ता है।