‘सिर्फ लाल किला क्यों?’, सुप्रीम कोर्ट का तंज! बहादुर शाह जफर की ‘परपोती’ की याचिका खारिज! कहा ‘बे-सिर-पैर’

Saurabh Sharma
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'सिर्फ लाल किला क्यों?', सुप्रीम कोर्ट का तंज! बहादुर शाह जफर की 'परपोती' की याचिका खारिज! कहा 'बे-सिर-पैर'

नई दिल्ली: मुगल सम्राज्य के आखिरी शासक बहादुर शाह जफर की कथित परपोती विधवा सुल्ताना बेगम द्वारा दिल्ली के लाल किले पर कब्जे की मांग वाली एक दिलचस्प याचिका को आज सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस याचिका को ‘पूरी तरह से बे-सिर-पैर वाली’ और सुनवाई के अयोग्य करार दिया।

सुल्ताना बेगम, जो खुद को बहादुर शाह जफर की कानूनी उत्तराधिकारी बताती हैं और वर्तमान में कोलकाता के पास हावड़ा में रहती हैं, ने इसी आधार पर यह याचिका दायर की थी। उनकी इस मांग को सुनकर अदालत में भी हल्की हंसी की लहर दौड़ गई।

यह पहली बार नहीं था जब सुल्ताना बेगम ने इस तरह की याचिका दायर की थी। उन्होंने पहली बार 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, उम्मीद थी कि सरकार उनकी स्थिति पर ध्यान देगी और कुछ आर्थिक सहायता प्रदान करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस याचिका को दायर करने में हुई अत्यधिक देरी (164 साल से अधिक) का हवाला देते हुए पहले ही खारिज कर दिया था। आज सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ के समक्ष जब यह मामला सुना गया, तो अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए तंज भी किया। पीठ ने सवाल उठाया कि “सिर्फ लाल किला ही क्यों? फतेहपुर सीकरी क्यों नहीं? उसे क्यों छोड़ दिया गया?” यह टिप्पणी स्पष्ट रूप से याचिका की बेतुकी प्रकृति पर कटाक्ष थी।

अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि सुल्ताना बेगम पूरी तरह से गलत समझ रही हैं और उनकी याचिका में कोई कानूनी आधार नहीं है।

 

 

 

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