अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के गजल गायक सुधीर नारायन ने कबीर की रचनाओं को दी सस्वर प्रस्तुति; समाज में कबीर की बढ़ती प्रासंगिकता पर किया ज़ोर
आगरा: क्वीन एम्प्रेस मैरी लाइब्रेरी एक ऐसे भावपूर्ण आयोजन का साक्षी बना, जिसने संत कबीर दास जी की प्रेम और भाईचारे की शिक्षाओं को जीवंत कर दिया। ‘ढाई आखर प्रेम का’ नामक यह विशेष कार्यक्रम पूर्ण रूप से भाईचारे की भावना को समर्पित रहा, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के गजल गायक सुधीर नारायन ने अपनी सस्वर प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
- अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के गजल गायक सुधीर नारायन ने कबीर की रचनाओं को दी सस्वर प्रस्तुति; समाज में कबीर की बढ़ती प्रासंगिकता पर किया ज़ोर
- कबीर आज और भी अधिक प्रासंगिक: सुधीर नारायन
- कबीर की कालजयी रचनाओं का सस्वर गायन
- मुख्य अतिथियों ने कबीर की बेबाक अभिव्यक्ति को सराहा
- लाइब्रेरी के विकास पर जताया आभार
- साहित्यिक विरासत को सहेजने का संकल्प
- आगरा का गौरव: क्वीन एम्प्रेस मैरी लाइब्रेरी
कबीर आज और भी अधिक प्रासंगिक: सुधीर नारायन
कार्यक्रम के केंद्र में रहे गजल गायक सुधीर नारायन, जो हाल ही में अमेरिका सहित कई देशों का दौरा करके लौटे हैं। श्री नारायन ने अपने संबोधन में कहा कि अंधविश्वास, व्यक्ति पूजा, पाखंड और ढोंग के खिलाफ 15-16वीं सदी में संत कबीर जितने प्रासंगिक थे, उससे कहीं अधिक उनकी ज़रूरत आज समाज को है।

उन्होंने अपना अंतर्राष्ट्रीय अनुभव साझा करते हुए बताया कि जहाँ पहले विदेशी श्रोता केवल गजल और नज्मों की फरमाइश करते थे, वहीं अब वे कबीर दास जी की रचनाओं की संगीतमयी प्रस्तुतियों का आग्रह करते हैं। उन्होंने इसे सकारात्मक संकेत बताया और कहा कि लोग अब अविश्वास, हिंसा और घातक बारूदी हमलों से ऊब चुके हैं।
“इंटरनेट के माध्यम से कबीर दास जी का दर्शन विश्व के हर कोने में पहुंच चुका है। लोग अब साखी, सबद और रमैनी को जानते ही नहीं, बल्कि गहनता से समझते भी हैं।”
— सुधीर नारायन, गजल गायक
कबीर की कालजयी रचनाओं का सस्वर गायन

भारत लौटने के बाद आगरा के श्रोताओं के बीच यह श्री नारायन का पहला कार्यक्रम था। उन्होंने कबीर की कई कालजयी रचनाओं को सस्वर प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को आध्यात्मिकता के रंग में रंग दिया। इन रचनाओं में शामिल थे:
- ‘भला हुआ मेरी मटकी फूटी’
- ‘हमन है इश्क मस्ताना’
- ‘जरा धीरे-धीरे गाड़ी हांको, मेरे राम गाड़ी वाले’
- ‘मोको कहा ढूंढे रे बन्दे मैं तो तेरे पास में’
- ‘चदरिया झीनी रे झीनी’
- *’मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में’
मुख्य अतिथियों ने कबीर की बेबाक अभिव्यक्ति को सराहा

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आयुक्त पुलिस दीपक कुमार ने संत कबीर दास को बेबाक अभिव्यक्ति करने वाला बताते हुए कहा कि ‘न काहू से दोस्ती और न काहू से बैर’ का भाव सहज ही उन्हें विशिष्ट बनाता है। उन्होंने आगरा की साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की सराहना की।
अपर जिलाधिकारी (ADM) नगर यमुनाधर चौहान ने कहा कि समाज को संदेश देने के मामले में कबीरदास जी का हमेशा अलग स्थान रहा है, और उनकी रचनाएँ अब तक प्रेरक हैं।
लाइब्रेरी के विकास पर जताया आभार
सुधीर नारायन ने क्वीन एम्प्रेस मैरी लाइब्रेरी में आयोजित इस पहले कार्यक्रम पर खुशी व्यक्त की और कहा कि लाइब्रेरी का विकास महानगर की लंबे समय से चली आ रही ज़रूरत को पूरा करता है। उन्होंने इसके लिए छावनी परिषद के निवर्तमान उपाध्यक्ष डॉ. पंकज महेंद्रू, मंडलायुक्त आगरा स्मार्ट सिटी, और छावनी परिषद के अधिकारियों का आभार जताया।
साहित्यिक विरासत को सहेजने का संकल्प
आयोजन संस्था अमृता विद्या – एजुकेशन फार इम्मोर्टालिटी के सेक्रेटरी श्री अनिल शर्मा ने आगरा की साहित्यिक विरासत को बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि नज़ीर अकबराबादी से संबंधित कई कार्यक्रम संस्था द्वारा किए जा चुके हैं। उन्होंने डॉ. पंकज महेंद्रू और श्री बृजेश तिवारी का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने ‘क्वीन एम्प्रेस मेरी लाइब्रेरी’ को साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के अनुकूल फिर से संजोया।
शिक्षाविद डॉ. कुसुम चतुर्वेदी ने कबीर दास जी के ‘रहस्यवाद’ पर गहन प्रकाश डाला।
साहित्यकार अरुण डांग ने कबीर दास जी की सामाजिक चेतना को जागरूक रखने वाली पहल को आज भी प्रासंगिक बताया।
पूरन डावर (चेयरमैन, डेवलपमेंट काउंसिल फॉर फुटवियर एंड लेदर इंडस्ट्री) ने साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की निरंतरता पर जोर दिया।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती श्रुति सिन्हा के द्वारा किया गया। आयोजन में अमृता विद्या, पंकज स्कैनिंग और पैथे लॉजी, और कुंदन सोप की सक्रिय भागीदारी रही।
आगरा का गौरव: क्वीन एम्प्रेस मैरी लाइब्रेरी
यह लाइब्रेरी सदर बाजार में स्थित है, जिसे जार्ज पंचम के वायसराय के रूप में आगरा आगमन की स्मृति में बनवाया गया था। क्वीन मैरी, जो बौद्धिक प्रवृत्ति की थीं, उन्होंने अपने कलेक्शन से भी कई पुस्तकें लाइब्रेरी को भेंट की थीं।
