आगरा के दयालबाग क्षेत्र में रहने वाले माता-पुत्र नम्रता मिश्रा और अक्षर मिश्रा को कर्मवीर चक्र सम्मान से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें उनके समाजसेवा के कार्यों के लिए दिया गया।
अधिवक्ता नम्रता मिश्रा पिछले 14 वर्षों से आगरा में वकालत कर रही हैं। वह बाल अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने बाल अधिकारों, पोक्सो, पॉश और संबंधित कानूनों पर 558 कानूनी साक्षरता कार्यशालाओं का आयोजन किया है। इन कार्यशालाओं में 900,000 से अधिक बच्चों, शिक्षकों, माता-पिता और महिलाओं ने भाग लिया। इन कार्यशालाओं के माध्यम से उन्होंने बाल अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अक्षर मिश्रा प्रील्यूड पब्लिक स्कूल में कक्षा नौवीं का छात्र हैं। वे भारत के सबसे युवा लेखकों में से एक हैं। उन्होंने 8 साल की उम्र में अपनी पहली किताब, “डोजेन स्परिंग टेल्स” लिखी। इस किताब को संवेदनशील विषयों, कहानी कहने की विशेषज्ञता और अद्वितीय चित्रण के लिए काफी सराहना मिली। उनकी दूसरी पुस्तक “द वर्ल्ड ऑफ मैजिकल पॉवर्स” वर्ष 2023 में प्रकाशित हुई। इस पुस्तक ने बच्चों और वयस्कों दोनों के पाठकों को समान रूप से आकर्षित किया।
अक्षर मिश्रा ने अपनी लेखनी के माध्यम से बाल अधिकारों, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया है। उनकी रचनाओं को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें रेक्स कर्मवीर चक्र (कांस्य) प्राप्त हुआ है और उन्हें रेक्स कर्मवीर ग्लोबल स्टोरी टेलिंग फ़ेलोशिप के ब्रांड एंबेसडर के रूप में भी चुना गया है।
कर्मवीर चक्र पुरस्कार वैश्विक नागरिक सम्मान है। यह संयुक्त राष्ट्र के साथ साझेदारी में एनजीओ के अंतर्राष्ट्रीय परिसंघ द्वारा दिया जाता है। यह पुरस्कार भारत के 11वें राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने करमवीर चक्र पुरस्कारों और अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी ओलंपियाड के लिए राजदूत बनने की पेशकश की थी। ये पुरस्कार हर साल 26 नवंबर के आसपास दिए जाते हैं, जिस दिन भारत ने 1949 में एक गणतंत्र के रूप में अपनी संवैधानिक प्रतिज्ञा को अपनाया था।