एटा, उत्तर प्रदेश: दशकों तक अपनी खास मिठास और स्वाद के लिए मशहूर अलीगंज का जलेवा बेर अब अलीगंज में कहीं नजर नहीं आता। कभी यह क्षेत्र अपने रसीले और मीठे बेर के लिए जाना जाता था, लेकिन अब स्थानीय उत्पादन लगभग खत्म हो चुका है। हालांकि, बेर की खपत के लिहाज से अलीगंज अभी भी महत्वपूर्ण है, जहां आज राजस्थान से बेर लाकर बेचे जा रहे हैं।
बेर विक्रेता धनीराम मोहल्ला सुदर्शन दास ने बताया कि पहले अलीगंज और आसपास के गांवों में बेर के काफी बाग हुआ करते थे। लेकिन अब बहुत कम बाग रह गए हैं। यहाँ की मिट्टी और जलवायु इस फल के लिए अनुकूल मानी जाती थी। लेकिन आधुनिक खेती, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन की वजह से बेर के पेड़ खत्म होते गए। इसके अलावा, अधिक लाभ देने वाली फसलें जैसे गेहूं, तम्बाकू और आलू की खेती किसानों के लिए अधिक फायदेमंद साबित हुई, जिससे बेर के बागों की जगह दूसरी फसलों ने ले ली। अलीगंज में अब खासतौर पर राजस्थान से लाया गया बेर यहाँ बिकता है, लेकिन वह उस जैसा स्वाद और मिठास नहीं दे पाता, जो अलीगंज के बेर की पहचान थी।
स्थानीय व्यापारियों के अनुसार, पहले अलीगंज का बेर लखनऊ, कानपुर और दिल्ली तक भेजा जाता था, लेकिन अब जब यहाँ का उत्पादन खत्म हो गया है, तो बाहरी बेर पर निर्भरता बढ़ गई है। आज अलीगंज का जलेवा बेर अपना स्थानीय स्वाद और पहचान खो चुका है।
अलीगंज का जलेवा बेर भले ही अब दिखाई नहीं देता, मगर इसकी मिठास की यादें आज भी लोगों के मन में बसी हुई हैं।