फतेहपुर सीकरी: हज़रत सलीम चिश्ती के उर्स के अवसर पर शनिवार रात्रि को बज़्मे कौसर के तत्वाधान में एक भव्य आल इंडिया मुशायरा का आयोजन किया गया। इस मुशायरे में देशभर के मशहूर शायरों ने अपना कलाम पेश किया, जिससे श्रोताओं को अद्भुत सुकून और आनंद प्राप्त हुआ। मुशायरे की अध्यक्षता सूफी इंटरनेशनल मिशन के अध्यक्ष डॉ. माजिद देवबंदी ने की, जबकि निजामत आर्टिस्टस वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हिलाल बदायूँनी ने कार्यक्रम का संचालन किया।
मुख्य अतिथि का संबोधन और शुभारंभ
मुशायरे का उद्घाटन ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि गुड्डू चाहर ने रिबन काटकर किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम समाज में एकता और भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करते हैं। मुशायरे के समापन पर हाजी हफ़ीज़ अहमद ने सभी शायरों और उपस्थित जनसमूह का आभार व्यक्त किया।
शायरी की महफिल
मुशायरे की शुरुआत डॉ. हिलाल बदायूँनी ने देश की एकता और अखण्डता पर आधारित अपने वक्तव्य से की, जिसमें उन्होंने कहा, “ये शेख सलीम चिश्ती का दर है, जहां बादशाहों के सर झुका करते हैं।” इसके बाद, डॉ. माजिद देवबंदी ने नात पढ़कर महफिल का आगाज किया और सभी को आत्मिक शांति का अहसास कराया।
देशभक्ति गीतों और शायरी की प्रस्तुति
मुशायरे में शायर नोमान मकनपुरी ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया, “मेरा भारत ही बस मेरी पहचान है, इसकी मैं जान हूँ ये मेरी जान है।” वहीं, डॉ. हिलाल बदायूँनी ने अपनी शायरी में कहा, “अपना जलवा मुझे अता कर दो, मेरी आँखों के कासे ख़ाली हैं।”
अद्भुत शायरी का संगम
सुप्रसिद्ध शायरा हिमांशी बाबरा ने अपनी शायरी से महफिल को रंगीन किया, “दिल ऐसे मुब्तिला हुआ तेरे मलाल में, ज़ुल्फें सफेद हो गयीं उन्नीस साल में।” वहीं, शायरा नूरी परवीन ने अपने कलाम में कहा, “वफ़ा का फैसला इक़रार पर है, मेरा सब कुछ निगाहे यार पर है।”
हास्य शायरी का तड़का
हास्य शायर ज़ीरो बांदवी ने अपनी हंसी-मजाक से श्रोताओं को खूब हंसाया और कहा, “गाँव की सब बकरियाँ रोने लगीं, जब मेरे बकरे की कुर्बानी हुई।”
दुआ और समापन
मुशायरा के अंत में शायरों ने हज़रत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह में हाज़री दी और अपने देश की खुशहाली, एकता और अखण्डता के लिए दुआ की। इस मौके पर हिंदुस्तान भर से एवं विदेशी पर्यटक सहित हज़ारों श्रोता मौजूद रहे।