जैथरा (एटा) बाल विकास परियोजना के अंतर्गत भ्रष्टाचार और अवैध वसूली का खेल चल रहा है। जैथरा क्षेत्र में बाल पुष्टाहार के कोऑर्डिनेटर प्रमोद मिश्रा पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से जबरन वसूली करने का गंभीर आरोप लगा है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि अल्प मानदेय में काम करने के बावजूद उनसे जबरन पैसों की मांग की जाती है, न देने पर कार्यवाही की धमकी दी जाती है।
सूत्रों की मानें तो कोऑर्डिनेटर द्वारा हर माह राशन पर 1000 रुपए, पीएलआई डालने के नाम पर 500 रुपए और मातृ वंदना योजना के फॉर्म भरवाने के लिए 500 रुपए वसूले जाते हैं। इन आरोपों ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में गहरा रोष पैदा कर दिया है। उनका कहना है कि यदि कोई कार्यकर्ता पैसे देने से मना कर दे तो उसके खिलाफ कार्यवाही करने, यहां तक कि नौकरी से हटवाने तक का डर दिखाया जाता है।
एक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हम पहले से ही बेहद कम मानदेय पर काम कर रहे हैं। ऊपर से हर महीने यह अतिरिक्त दबाव हम पर डाला जाता है। यदि समय पर पैसा न दिया जाए तो फाइल रोकने, फॉर्म पास न करने और शिकायत करने जैसी धमकियां दी जाती हैं।
स्थानीय लोगों का भी कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों के पोषण और योजनाओं के सुचारु संचालन के बजाय भ्रष्टाचार हावी होता जा रहा है। लोग मानते हैं कि यह पूरा खेल संगठित तरीके से चलाया जा रहा है और उच्चाधिकारियों की अनदेखी इसकी बड़ी वजह है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
वहीं, इस पूरे मामले पर अभी तक विभागीय स्तर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। अधिकारियों की चुप्पी ने कार्यकर्ताओं की चिंताएं और बढ़ा दी है।