आशारामजी बापू: एक दिव्य आत्मा

Dharmender Singh Malik
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आशारामजी बापू एक भारतीय अध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक हैं। वह अपनी आध्यात्मिक शिक्षाओं और समाज सेवा के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म 21 अगस्त, 1941 को हुआ।

आशारामजी बापू ने बचपन से ही अध्यात्म में रुचि ली थी। उन्होंने अपनी युवावस्था में कई गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की और अंत में उन्होंने अपना स्वयं का आश्रम स्थापित किया। उनका आश्रम आज दुनिया भर में फैला हुआ है और इसमें लाखों भक्त हैं।

आशारामजी बापू की शिक्षाओं का मुख्य आधार आत्मशक्ति है। वह मानते हैं कि हर व्यक्ति में आत्मशक्ति होती है और वह अपनी क्षमताओं को पहचानकर अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है। वह अपने भक्तों को आत्मनिर्भर बनने और अपने जीवन की जिम्मेदारी अपने हाथों में लेने के लिए प्रेरित करते हैं।

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आशारामजी बापू की शिक्षाएं न केवल आध्यात्मिक हैं, बल्कि सामाजिक भी हैं। वह समाज से बुराइयों को दूर करने और समाज में सुधार लाने के लिए प्रयासरत रहते हैं। उन्होंने विभिन्न सामाजिक सेवा कार्यक्रम चलाए हैं, जैसे कि शिक्षा, चिकित्सा, और गरीबों की सहायता।

आशारामजी बापू एक दिव्य आत्मा हैं। वह अपने भक्तों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रयासरत रहते हैं। उनकी शिक्षाएं लोगों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाती हैं। वह समाज से बुराइयों को दूर करने और समाज में सुधार लाने के लिए भी प्रयासरत हैं।

आशारामजी बापू के कुछ उपदेश

  • हर व्यक्ति में आत्मशक्ति होती है।
  • अपने आप पर भरोसा करें और अपनी क्षमताओं को पहचानें।
  • आत्मनिर्भर बनें और अपने जीवन की जिम्मेदारी अपने हाथों में लें।
  • सकारात्मक सोचें और सकारात्मक कर्म करें।
  • दूसरों की मदद करें और समाज में सुधार लाने के लिए प्रयासरत रहें।
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आशारामजी बापू का संदेश

आशारामजी बापू का संदेश है कि हर व्यक्ति में आत्मशक्ति होती है और वह अपनी क्षमताओं को पहचानकर अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है। वह लोगों को आत्मनिर्भर बनने और अपने जीवन की जिम्मेदारी अपने हाथों में लेने के लिए प्रेरित करते हैं। वह उनका मानना है कि हर व्यक्ति समाज का एक हिस्सा है और समाज को बेहतर बनाने के लिए सभी को अपना योगदान देना चाहिए।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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