- तुर्किये मेड जिगाना पिस्टल से अतीक को गोली मारी, 7 लाख कीमत, एक साथ 15 राउंड फायरिंग; भारत में बैन फिर शूटर्स को कैसे मिली?
प्रयागराज/लखनऊ। प्रयागराज के काल्विन हॉस्पिटल में जांच कराने के दौरान माफिया अतीक अहमद और अशरफ की गोली मारकर हत्या के बाद रविवार को दोनों का शव कसारी-मसारी स्थित उनके पैतृक कब्रिस्तान में दफनाया गया। अतीक के बेटे असद की कब्र के पास दोनों की कब्र खुदवाई गई। उधर तीनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया गया है। लेकिन देशभर में यह सवाल बना हुआ है कि इस हत्या कांड की साजिश के पीछे कौन है?
गौरतलब है कि शनिवार, रात के 10:35 बजे प्रयागराज के कॉल्विन हॉस्पिटल में मीडियाकर्मी बनकर आए हमलावरों लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्य ने 18 सेकेंड में 20 राउंड गोलियां चलाकर माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी। एक भी सेकेंड रुके बिना ये फायरिंग एके-47 से नहीं बल्कि एक ऑटोमैटिक पिस्टल से की गई थी। दरअसल, ये विदेशी पिस्टल थी, जिसे जिगाना कहते हैं। करीब 10 महीने पहले इसी पिस्टल से पंजाब में सिद्धू मूसेवाला की हत्या हुई थी।
अतीक के दोनों छोटे बेटे और अशरफ की बेटी और पत्नी मौजूद रहीं कब्रिस्तान में
अतीक और अशरफ के शवों को मुस्लिम रीति-रिवाज से दफनाया गया। कब्रिस्तान में अतीक के दोनों छोटे बेटों को बाल सुधार गृह से लाया गया। उनके साथ अतीक का बहनोई और दो रिश्तेदार भी कसारी-मसारी स्थित कब्रिस्तान पहुंचे। अशरफ की बेटी और पत्नी जैनब भी कब्रिस्तान में मौजूद रहीं। कब्रिस्तान में किसी को भी एंट्री नहीं दी गई। सिर्फ चुनिंदा रिश्तेदारों को जाने दिया गया। कब्रिस्तान से करीब 300 मीटर दूर सभी को रोक दिया गया। मीडियाकर्मियों को कब्रिस्तान के बाहर तक जाने दिया गया।
हमलावरों के पास कहां से आई जिगाना पिस्टल
भारत में चोरी-छिपे अवैध रूप से जिगाना पिस्टल की खरीद-बिक्री होती है। दावा किया जा रहा है कि इस पिस्टल की कीमत करीब 4 लाख रुपए है। हालांकि भारतीय बाजार में अवैध रूप से पाकिस्तान और दूसरे देशों से ये हथियार लाए जाते हैं। इसकी वजह से कीमत बढ़ जाती है। भारत में 5 से 7 लाख रुपए में इस हथियार के मिलने का दावा किया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अतीक और उसके भाई अशरफ पर फायरिंग करने वाले तीनों शूटर्स लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्य के पास इतने महंगे हथियार कहां से आए? महंगी जिगाना पिस्टल मिलने के बाद ये माना जा रहा है कि इस घटना को अंजाम देने में किसी बड़ी गैंग का हाथ हो सकता है। तीनों आरोपियों की क्रिमिनल हिस्ट्री रही है। पुलिस के मुताबिक शूटर सनी पहले सुंदर भाटी के लिए पहले काम करता था। वह सबसे पहले हमीरपुर जेल में सुंदर भाटी से मिला था। इसके बाद दोनों में करीबी बढ़ी और सनी उसकी गैंग में शामिल हो गया। रिपोट्र्स में सनी को ये पिस्टल भाटी गैंग से मिलने का दावा किया जा रहा है। इससे पहले मूसेवाला की हत्या में भी जिगाना का इस्तेमाल हुआ था और लॉरेंस गैंग ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली थी। ऐसे में साफ है कि बड़े गैंग की मदद लिए बिना तीनों बदमाशों तक ये पिस्टल पहुंचना मुश्किल है।
अतीक और अशरफ हत्याकांड में एफआईआर दर्ज
अतीक और अशरफ हत्याकांड में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ धारा 302, 307 के तहत एफआईआर दर्ज की है। आम्र्स एक्ट की धारा 3,7, 25, 27 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। अतीक और अशरफ को मारने वाले आरोपियों से पुलिस पूछताछ में जुटी है। आरोपियों ने पुलिस को कई चौंकाने वाली जानकारी दी हैं। आरोपियों का कहना है कि हम अतीक गैंग का सफाया करना चाहते थे। हम प्रदेश में अपना नाम कमाना चाहते हैं। दोनों को मारने के लिए हम पत्रकार बनकर आए थे। हम हत्या करके भाग नहीं पाए।
सिर-गर्दन और छाती में गोली
रविवार दोपहर बाद अतीक और अशरफ का पोस्टमार्टम किया गया। जिसकी रिपोर्ट आने पर यह बात सामने आई कि शूटआउट के दौरान उसके शरीर में कुल 8 गोलियां लगी हैं। इनमें से 1 सिर में, 1 गर्दन में, 1 छाती में और 1 कमर में लगी है। वहीं अभी अशरफ की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार है। दोनों के शव पोस्टमार्टम के परिजनों को सौंप दिए गए हैं। जिन्हें चकिया के कब्रिस्तान ले जाया जा रहा है।
तीन सदस्यीय न्यायिक जांच समिति का गठन
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के संबंध में तीन सदस्यीय न्यायिक जांच समिति का गठन किया गया है। समिति दो महीने में सरकार को रिपोर्ट देगी। समिति की अध्यक्षता इलाहाबाद एचसी के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी करेंगे, जिसमें सेवानिवृत्त आईपीसी अधिकारी सुबेश कुमार सिंह और सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश बृजेश कुमार सोनी शामिल हैं।
तीनों अपराधियों का क्रिमिनल बैकग्राउंड
अतीक अहमद और अशरफ की हत्या करने वाले तीनों अपराधियों का क्रिमिनल बैकग्राउंड है। ये तीनों आरोपी यूपी के अलग-अलग जिलों के रहने वाले हैं। अतीक हत्याकांड में शामिल सनी हमीरपुर, अरुण उर्फ कालिया कासगंज और लवलेश तिवारी बांदा जिले का रहने वाला है।
सनी सिंह के खिलाफ 15 केस दर्ज
सिंह हमीरपुर जिले के कुरारा कस्बे का रहने वाला है। वो कुरारा पुलिस थाने का हिस्ट्रीशीटर है, जिसकी हिस्ट्रीशीट नंबर 281्र है। उसके खिलाफ करीब 15 केस दर्ज हैं। उसके भाई पिंटू ने बताया कि वो बीते 10 साल से अपने घर नहीं आया है। सनी के पिता जगत सिंह और मां की मौत हो चुकी है।
अरुण के खिलाफ कई मामले
अतीक-अशरफ हत्याकांड में कासगंज का अरुण उर्फ कालिया भी शामिल था। वो सोरों थाना क्षेत्र के बघेला पुख्ता का रहने वाला है। अरुण के पिता का नाम हीरालाल बताया जा रहा है। वो छह साल से बाहर रह रहा था। उसके माता-पिता की मौत करीब 15 पहले हो चुकी थी। अरुण ने जीआरपी थाने में तैनात पुलिसकर्मी की हत्या कर दी थी, जिसके बाद से ही वो फरार है।
पहले भी जेल जा चुका है लवलेश
लवलेश तिवारी इससे पहले एक मामले में जेल भी जा चुका है। लवलेश के खिलाफ चार पुलिस केस हैं। इनमें पहले मामले में उसे एक महीने की सजा हुई थी। दूसरा मामला लड़की को थप्पड़ मारने का था, उसमें डेढ़ साल की जेल हुई थी। तीसरा मामला शराब से जुड़ा हुआ था, इसके अलावा एक और मामला है।
प्रयागराज के होटल में रुके थे हत्यारे
इसके साथ ही अतीक के हत्यारों से पूछताछ में पुलिस को अहम सुराग मिले हैं। हत्यारे यूपी के अलग-अलग जिलों से आए हुए थे, इसलिए उन्होंने प्रयागराज में रुकने के लिए होटल लिया था। उन्होंने 48 घंटों से होटल में अपना ठिकाना बनाया हुआ था, जिस होटल में वो रुके थे, वहां पुलिस अब छानबीन कर रही है। इसमें पता चला है कि एक हत्यारा वारदात को अंजाम देने के दौरान हैंगिंग बैग लेकर आया था। हत्यारों का सामान अब भी होटल में होने की संभावना है। पुलिस आज सुबह से ही होटल में छापेमारी कर रही है।
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