झाँसी, सुल्तान आब्दी: झाँसी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो प्रमुख नेताओं, सदर विधायक प्रतिनिधि दिलीप पांडे (Dilip Pandey) और ज़मीन कारोबारी नत्थू कुशवाहा (Natthu Kushwaha) के बीच वर्चस्व की जंग खुलकर सामने आ गई है। यह विवाद अब कानूनी मोड़ ले चुका है, जहाँ दोनों ही नेताओं ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाते हुए मुकदमे दर्ज कराए हैं। इस घटनाक्रम ने न केवल स्थानीय राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि भाजपा की छवि पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
पूरा मामला ज़मीन के कारोबार और व्यक्तिगत वर्चस्व से जुड़ा प्रतीत होता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, नत्थू कुशवाहा ने न्यायालय के आदेश पर सदर विधायक प्रतिनिधि दिलीप पांडे के खिलाफ थाना कोतवाली में एक करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने (Rangdari Mangne) और जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज कराया है। नत्थू कुशवाहा का आरोप है कि दिलीप पांडे उन्हें व्यवसाय में परेशान कर रहे हैं और अनुचित लाभ की मांग कर रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर दिलीप पांडे ने भी नत्थू कुशवाहा के खिलाफ अनेकों गंभीर आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया है। दिलीप पांडे ने नत्थू कुशवाहा पर अपने साथ-साथ अपनी भाभी की प्रॉपर्टी में 400 बीसी (400 BC) और अन्य गंभीर धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं। पुलिस इन सभी आरोपों की गहनता से जांच कर रही है।
वर्चस्व की लड़ाई या व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता?
यह ध्यान देने योग्य बात है कि दिलीप पांडे और नत्थू कुशवाहा, दोनों ही पंचवटी क्षेत्र में ज़मीन का कारोबार करते हैं। नत्थू कुशवाहा का आवास पंचवटी क्षेत्र में है, तो वहीं दिलीप पांडे का निवास भी इसी क्षेत्र में स्थापित है। कभी एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले ये दोनों भाजपा नेता आज एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन बने हुए हैं।
वर्तमान समय में, दोनों ही ज़मीन कारोबारी सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के खिलाफ लगातार गंभीर आरोप लगा रहे हैं, जिससे दोनों पक्षों में तनाव की स्थिति बनी हुई है। स्थानीय लोगों और राजनीतिक विश्लेषकों को डर है कि यह तनाव कहीं कोई गंभीर रूप धारण न कर ले, जिससे कोई बड़ा हादसा घटित हो सकता है।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका
इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। पुलिस आरोपों की जांच कर रही है, लेकिन जिस तरह से दोनों पक्षों के पास अपने-अपने समर्थक और लाइसेंसी हथियार हैं, वह चिंता का विषय है। जिला प्रशासन को चाहिए कि इन दोनों व्यक्तियों पर सख्त नज़र रखें, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
भाजपा की छवि पर सवाल
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि भाजपा सरकार में ही भाजपा के नेता एक-दूसरे के खिलाफ इस तरह से मुकदमे दर्ज करा रहे हैं। यह स्थिति कहीं न कहीं पार्टी की ही छवि को धूमिल कर रही है। एक तरफ जहां पार्टी सुशासन और पारदर्शिता की बात करती है, वहीं उसके अपने ही नेता आपसी लड़ाई में उलझे हुए हैं। पार्टी नेतृत्व को इस मामले में हस्तक्षेप कर स्थिति को शांत करने और अपनी छवि को बनाए रखने की आवश्यकता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि यह कानूनी और व्यक्तिगत जंग आगे क्या मोड़ लेती है और क्या झांसी पुलिस और प्रशासन इस विवाद को बढ़ने से रोकने में सफल हो पाता है।