गर्भावस्था में जरूर कराएं मधुमेह की जांच, जच्चा-बच्चा पर पड़ सकता है असर

Vinod Kumar
5 Min Read

– विश्व मधुमेह दिवस (14 नवम्बर 2024) आज
– गर्भवस्था की पहली तिमाही से प्रसव पूर्व जांचें जरूरी
– सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर जांचों की सुविधा उपलब्ध

आगरा: गर्भावस्था के दौरान मधुमेह एक गंभीर समस्या बन सकता है, जो न केवल गर्भवती महिला के स्वास्थ्य पर असर डालता है, बल्कि शिशु के विकास और प्रसव में भी जटिलताएं पैदा कर सकता है। ऐसे में, डॉक्टरों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को अपनी गर्भावस्था की पहली तिमाही से ही मधुमेह की जांच करानी चाहिए। इसके लिए रैंडम ब्लड शुगर (आरबीएस) की जांच की जाती है, जो गर्भावस्था के दौरान किसी भी संभावित समस्या को पहचानने में मदद करती है।

विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर जागरूकता अभियान

आज 14 नवम्बर को विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर डॉक्टरों ने गर्भवती महिलाओं से अपील की है कि वे अपनी गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य जांच में कोई भी लापरवाही न बरतें, क्योंकि गर्भावस्था में मधुमेह का नियंत्रण न होने पर जच्चा-बच्चा दोनों की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान मधुमेह का पता प्रसव पूर्व जांचों के माध्यम से ही लगाया जा सकता है, और यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह भविष्य में टाइप-2 मधुमेह जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।

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मधुमेह के कारण होने वाली जटिलताएं

गर्भावस्था के दौरान अगर मधुमेह को नियंत्रित नहीं किया जाता है तो यह शिशु के लिए कई तरह की जटिलताओं का कारण बन सकता है। डॉ. मेघना शर्मा, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी जीवनी मंडी नगरीय स्वास्थ्य केंद्र, ने बताया कि गर्भावस्था के पहले आठ सप्ताह के दौरान शिशु के अंग जैसे मस्तिष्क, हृदय, गुर्दे और फेफड़े का निर्माण होता है। उच्च रक्त शर्करा का स्तर इस विकास को प्रभावित कर सकता है, जिससे शिशु में जन्म दोष, हृदय दोष, मानसिक विकास में देरी या अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

गर्भावस्था में मधुमेह के प्रभाव

मधुमेह के कारण शिशु में निम्नलिखित जटिलताएं हो सकती हैं:

  • जन्म के समय अधिक वजन: मधुमेह से पीड़ित माताओं के शिशु का वजन अधिक हो सकता है, जिससे प्रसव के दौरान समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • श्वसन समस्याएं: शिशु को सांस लेने में समस्या हो सकती है।
  • हृदय समस्याएं: शिशु में हृदय से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
  • मानसिक विकास में देरी: शिशु का मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है।
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गर्भावस्था में मधुमेह की जांच और उपचार

गर्भावस्था में मधुमेह की जांच और उचित इलाज अत्यंत महत्वपूर्ण है। जांच के दौरान रक्त परीक्षण से मधुमेह का पता चलता है, और यदि जांच में मधुमेह की पुष्टि होती है, तो डॉक्टर इंसुलिन थेरेपी और आहार में बदलाव की सलाह देते हैं। इसके अलावा, गर्भवती महिला को नियमित रूप से चिकित्सकीय निगरानी में रखा जाता है।

मधुमेह की रोकथाम के उपाय

गर्भावस्था में मधुमेह को रोकने और नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित उपाय प्रभावी हो सकते हैं:

  • स्वस्थ आहार: संतुलित और पौष्टिक आहार से रक्त शर्करा स्तर नियंत्रित रहता है।
  • नियमित व्यायाम: हल्का व्यायाम और शारीरिक गतिविधि रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करता है।
  • वजन नियंत्रण: सही वजन बनाए रखने से गर्भावस्था के दौरान मधुमेह का जोखिम कम हो सकता है।
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स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच की सुविधा

कई सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मधुमेह की जांच की सुविधा उपलब्ध है, और गर्भवती महिलाओं को अपनी जांच के लिए इन केंद्रों पर जाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। डॉ. संजीव वर्मन, एसीएमओ आरसीएच ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में प्रसव पूर्व जांच की व्यवस्था है, और यदि गर्भवती महिला में मधुमेह का पता चलता है तो उसकी नियमित निगरानी और उपचार किया जाता है ताकि सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित किया जा सके।

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