आगरा: आगरा के प्रतिष्ठित व्यावसायिक केंद्र संजय प्लेस में अवैध अतिक्रमण पर रोक लगाने में स्थानीय प्रशासन विफल होता दिख रहा है। यहां की सभी प्रमुख सड़कों पर खाने-पीने की बड़ी-बड़ी दुकानें बेखौफ लगी हुई हैं, जिससे न केवल यातायात प्रभावित हो रहा है बल्कि प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान की भी खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस गंभीर स्थिति पर नगर निगम के अतिक्रमण प्रभारी का ध्यान न होने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
अतिक्रमण प्रभारी पर निष्क्रियता के आरोप, ‘सेटिंग’ का खेल जारी?
संजय प्लेस में अतिक्रमण की बढ़ती समस्या को लेकर गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो गुलशन नाम का एक कर्मचारी कथित तौर पर अतिक्रमण करने वालों से ‘सेटिंग’ करता है, जिसके चलते अवैध कब्ज़े धड़ल्ले से जारी हैं।
इस मुद्दे पर जब एस.एफ.आई. (SFI) राघवेंद्र यादव ने अतिक्रमण प्रभारी पर जिम्मेदारी डाली, तो उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। यह रवैया स्थानीय निवासियों और व्यापारियों में भारी आक्रोश पैदा कर रहा है।
क्या निगम के नाम पर हो रही है ‘गुप्त वसूली’?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अतिक्रमण करने वालों से नगर निगम का कोई टैक्स वसूला जाता है? अगर हाँ, तो वह पैसा कहाँ जाता है? नाम न छापने की शर्त पर कुछ दुकानदारों ने बताया कि संजय प्लेस में “सब गोलमाल है”। उनका आरोप है कि वसूली के नाम पर नगर निगम के कुछ कर्मचारी और अधिकारी अपनी जेबें भर रहे हैं।
यह भी जानकारी मिली है कि कुछ ढकेल वाले नगर निगम का कथित ‘गुप्त वसूली टैक्स’ नहीं देते। ऐसे ढकेल वाले निगम कर्मचारियों के साथ ‘सेटिंग’ करके अपना काम चला रहे हैं। वहीं, इस पूरे मामले पर नगर पशु कल्याण अधिकारी भी कोई जवाब देने से बचते दिख रहे हैं।
संजय प्लेस की साख पर बट्टा, महापौर को देना होगा ध्यान
संजय प्लेस न केवल आगरा का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र है, बल्कि इसका कारोबार देश के साथ-साथ विदेशों से भी जुड़ा हुआ है। ऐसे में अवैध अतिक्रमण और गंदगी से इसकी छवि धूमिल हो रही है, जिससे आगरा की पर्यटन नगरी की साख पर भी बट्टा लग रहा है।
स्थानीय नागरिक और व्यापारी अब महापौर हेमलता दिवाकर कुशवाहा से इस मामले में तत्काल संज्ञान लेने और प्रभावी कार्रवाई करने की अपील कर रहे हैं, ताकि संजय प्लेस को अतिक्रमण मुक्त किया जा सके और पीएम के स्वच्छता अभियान के लक्ष्यों को साकार किया जा सके। अतिक्रमण प्रभारी पर भी अपने मूल काम में विफल होने के आरोप लग रहे हैं, जिससे उनकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठते हैं।