आगरा, तौहीद खान : पुलिस के दस्तावेजों और एफआईआर में अब आरोपियों की जाति का उल्लेख नहीं किया जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने इस संबंध में महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। यह आदेश सभी पुलिस कमिश्नरों, डीजीपी, अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, डीएम और जिला कप्तानों के लिए जारी किया गया है।
मुख्य सचिव का आदेश
मुख्य सचिव दीपक कुमार द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार, अब पुलिस के दस्तावेजों और एफआईआर में आरोपी की जाति का उल्लेख नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, संबंधित व्यक्ति के माता-पिता का नाम जोड़ा जाएगा। यह कदम समाज में जातिगत भेदभाव को कम करने और कानून को सभी के लिए समान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
सार्वजनिक स्थानों से हटेंगे जातीय संकेत:
इस आदेश में यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर लगे नोटिस बोर्ड, वाहनों और साइन बोर्ड से भी जातिगत संकेत और नारे हटाए जाएंगे। इसके साथ ही, जिला और पुलिस प्रशासन से यह भी कहा गया है कि जाति के आधार पर होने वाले सार्वजनिक कार्यक्रमों पर भी रोक लगाई जाए।
हाईकोर्ट का आदेश
यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट, प्रयागराज द्वारा 16 सितंबर को दिए गए एक विस्तृत आदेश के बाद जारी किया गया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में पुलिस के दस्तावेजों में आरोपियों की जाति का उल्लेख न करने के साथ-साथ वाहनों, सार्वजनिक स्थानों, साइन बोर्ड और सोशल मीडिया पर भी जाति के महिमामंडन पर रोक लगाने का निर्देश दिया था।
ये होगा इस आदेश का असर
हाईकोर्ट के इस फैसले और मुख्य सचिव के आदेश से समाज में जातिगत भेदभाव को खत्म करने में मदद मिलेगी। यह कदम कानून और व्यवस्था को और अधिक निष्पक्ष बनाने के साथ-साथ पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली में भी पारदर्शिता लाएगा।