Mathura News छटीकरा: उत्तर प्रदेश एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट (उपज) के तत्वाधान में ब्रज के पत्रकारों ने सामलिया फॉर्म हाउस पर एक शानदार होली मिलन समारोह का आयोजन किया। इस अवसर पर पत्रकारों ने एक दूसरे को फूलों से होली खेलकर बधाई दी और प्रेम एवं सद्भावना का संदेश दिया।
समारोह का शुभारंभ चिंतामणी कुंज आश्रम के महामंडलेश्वर डॉक्टर आदित्यनाथ गिरी महाराज द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। समारोह में राधा और कृष्ण की सुंदर झांकियों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया, जबकि होली के रसिया गानों पर नृत्य करते हुए कलाकारों ने सबका मन मोह लिया।
ब्रज की होली: सांस्कृतिक धरोहर
उपज के जिला अध्यक्ष अतुल कुमार जिंदल ने समारोह के दौरान कहा, “ब्रज की होली प्रेम और समरसता की विश्व प्रसिद्ध होली है, जिसे बसंत ऋतु के दौरान 40 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है।” उन्होंने आगे कहा कि यह एक ऐसी होली है, जो रंग, गुलाल, लट्ठ, छड़ी, लड्डू और पुष्पों के साथ प्रेम की अलौकिक भावना से भरी होती है।
ब्रज के कलाकारों का काव्य पाठ और रसिया
कार्यक्रम में ब्रज के कलाकारों ने होली के रसिया गाने और काव्य पाठ से समा बांध दिया। इन कलाकारों ने अपनी कला से इस विशेष अवसर को और भी रंगीन बना दिया। पत्रकारों और अतिथियों ने इस सांस्कृतिक धरोहर का आनंद लिया।
सम्मान समारोह
कार्यक्रम के दौरान सभी पत्रकारों और अतिथियों को बांके बिहारी और पटुका पहनाकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर यशवीर सिंह राघव (सामलिया फॉर्म हाउस के चेयरमैन) और उपज के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भी इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।
विशेष अतिथियों का आभार
कार्यक्रम में महाराणा प्रताप सेवा सदन के संरक्षक डॉ. नवल सिंह, अध्यक्ष ठाकुर सुजान सिंह, महामंत्री ठाकुर सियाराम प्रधान, और अन्य समाजसेवी जैसे करनी सेना जिलाध्यक्ष कन्हैया ठाकुर, भाकियू भानु जिलाध्यक्ष देवेन्द्र पहलवान, महिला थाना निरीक्षक रंजना सचान, पवन जीत सिंह चौधरी समेत कई प्रमुख अतिथि मौजूद रहे।
कार्यक्रम संचालन और पत्रकार साथियों की उपस्थिति
कार्यक्रम का संचालन जिला महासचिव ठाकुर विष्णु पहलवान ने किया। कार्यक्रम में विजय सिंघल, साहूकार शर्मा, वीरेंद्र सिंह छौंकर, विपिन अग्रवाल, वेद प्रकाश सारस्वत, चंद्रेश अग्रवाल, तुलसीराम, राजू, शैलेन्द्र मिश्रा, सोनम, हितेश अग्रवाल जैसे प्रमुख पत्रकार साथी भी उपस्थित रहे।
यह आयोजन न केवल पत्रकारों के बीच होली की खुशियाँ बाँटने का एक अवसर था, बल्कि यह समाज में एकता और सद्भावना का भी प्रतीक बना। सभी ने इस अवसर पर गले मिलकर एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएँ दीं और नए साल की शुरुआत को सकारात्मक दिशा में मनाने का संकल्प लिया।