आगरा। शहर की प्रमुख सामाजिक एवं साहित्यिक संस्था ‘संकेत’ ने कुंवर कॉलोनी, खंदारी स्थित सीए संजीव माहेश्वरी के आवास पर एक महत्वपूर्ण ब्रजभाषा संगोष्ठी का आयोजन किया। इस संगोष्ठी का विषय था, “वर्तमान सन्दर्भ में ब्रजभाषा की प्रासंगिकता,” जिसमें ब्रजभाषा के प्रचार और प्रसार के लिए गहरी चर्चा की गई। कार्यक्रम में आगरा को मथुरा-वृंदावन की तरह एक बृजभाषी क्षेत्र बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
ब्रजभाषा की महत्ता पर हुई व्यापक चर्चा
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. लवकुश मिश्रा, जो डॉ. बीआर आम्बेडकर विश्वविद्यालय के पर्यटन एवं होटल प्रबंधन संस्थान के निदेशक हैं, ने ब्रजभाषा के पर्यटन क्षेत्र में महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि आगरा को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए ब्रजभाषा का प्रसार और संरक्षण जरूरी है, क्योंकि यह क्षेत्रीय संस्कृति का अहम हिस्सा है।
वरिष्ठ पत्रकार आदर्श नंदन गुप्ता ने भी इस बात पर जोर दिया कि शहर में ब्रजभाषा के कार्यक्रमों को नियमित रूप से आयोजित किया जाना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी इस भाषा से जुड़ी रहे और संस्कृति का संरक्षण हो सके। उन्होंने कहा कि ब्रजभाषा को प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षा, कला और संस्कृति के क्षेत्र में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
ब्रजभाषा के इतिहास पर गहरी चर्चा
डॉ. ब्रज बिहारी ‘बिरजू’ और डॉ. सुषमा सिंह ने ब्रजभाषा के इतिहास और उसके सांस्कृतिक महत्व पर विस्तार से जानकारी दी। दोनों ने बताया कि ब्रजभाषा का विकास एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम है, और यह भारतीय साहित्य में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखती है। उन्होंने ब्रजभाषा के विकास में साहित्यकारों और कवियों के योगदान को सराहा और बताया कि यह भाषा अपनी सुंदरता और अद्भुत ध्वन्यात्मकता के कारण आज भी जीवित है।
इसके बाद, डॉ. राजेंद्र ‘मिलन’ ने ब्रजभाषा के महत्व को समझाते हुए आगरा को मथुरा-वृंदावन की तरह एक ब्रजभाषी क्षेत्र बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अगर आगरा को भी एक बृजभाषी क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाए, तो यह शहर न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध होगा, बल्कि पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में भी इसका विशेष योगदान होगा।
कवि सम्मेलन और साहित्यिक सत्र
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में आगरा के कई प्रतिष्ठित कवियों ने ब्रजभाषा में अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं। इनमें सुशील ‘सरित’, रमा वर्मा, डा. शेषपाल सिंह ‘शेष’, निशिराज, राज फौजदार, रवीन्द्र वर्मा, डॉ. शुभदा पाण्डेय, योगेश शर्मा ‘योगी’, प्रभुदत्त उपाध्याय, हरीश भदौरिया, उमाशंकर आचार्य, रेणु उपाध्याय, राम अवतार शर्मा, डॉ. महेश धाकड़ जैसे कवि शामिल थे। इन कवियों ने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और ब्रजभाषा की सुंदरता और प्रभाव को महसूस कराया।
कार्यक्रम का संचालन राकेश ‘निर्मल’ ने किया, जबकि विदुर अग्निहोत्री, हार्दिक राजवंश और तनीषा शर्मा का विशेष सहयोग रहा।
सम्मानित हुए साहित्यिक और समाजसेवी
कार्यक्रम के दौरान, ब्रजभाषा के प्रचार-प्रसार में योगदान देने वाले सभी पदाधिकारियों और कवियों को सम्मानित किया गया। विशिष्ट अतिथि के रूप में राज बहादुर सिंह ‘राज’ भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष रामेन्द्र शर्मा ‘रवि’ और संयोजक ‘संकेत’ संस्था के सचिव और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राजीव शर्मा ‘निस्पृह’ ने आयोजन की सफलता में अहम भूमिका निभाई।
समापन और भविष्य की दिशा
संगोष्ठी में ब्रजभाषा के भविष्य पर चर्चा करते हुए सभी ने एकमत से कहा कि अगर हम ब्रजभाषा को संरक्षित करना चाहते हैं, तो इसे शिक्षा, कला, और समाज के हर क्षेत्र में अपनाना जरूरी है। इसके साथ ही कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत के साथ हुआ।
यह संगोष्ठी आगरा शहर के साहित्यिक और सांस्कृतिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई, और यह ब्रजभाषा को एक नई दिशा देने के लिए प्रेरणास्पद बनी।