बसपा की भविष्य की रणनीति: योगी सरकार पर हमला, सपा का जिक्र, कांग्रेस गायब!

BRAJESH KUMAR GAUTAM
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लखनऊ: वर्ष 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपनी भविष्य की रणनीति स्पष्ट कर दी है। पार्टी प्रमुख मायावती अब योगी आदित्यनाथ की सरकार पर तीखे हमले करने जा रही हैं। उन्होंने पार्टी नेताओं के साथ अपनी हालिया बैठक में समाजवादी पार्टी (सपा) का नाम तो एक बार लिया, लेकिन कांग्रेस का जिक्र तक नहीं किया। इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि मायावती भाजपा के प्रति नरम रुख अपनाने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करना चाहती हैं।

बसपा अब भाजपा के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाकर अपने कैडर वोट को सहेजने के लिए संगठन को मजबूत बनाने पर जोर देगी। साथ ही, पार्टी अन्य विपक्षी दलों की भाजपा विरोधी रणनीति में आगे निकलने का प्रयास करेगी।

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पिछले कई चुनावों में लगातार कमजोर प्रदर्शन के बाद, मायावती वंचित वर्ग के वोटों में पकड़ बनाने की अन्य विपक्षी दलों की कोशिशों से निपटने के लिए सक्रिय हो गई हैं। बुधवार को राज्य मुख्यालय पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठक में मायावती ने कहा कि प्रदेश में डबल इंजन वाली भाजपा सरकार सर्वसमाज के करोड़ों गरीब बहुजनों के कल्याण और विकास के लिए कार्य नहीं कर रही है, बल्कि पूर्व की सपा सरकार की तरह ही केवल कुछ क्षेत्रों और समूहों के लिए समर्पित है। इससे प्रदेश का विकास प्रभावित हो रहा है।

उन्होंने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की भाजपा सरकारों से ‘धर्म को कर्म’ के बजाय ‘कर्म को धर्म’ मानने और संवैधानिक दायित्व निभाने का आह्वान किया। मायावती ने द्वेष और विभाजन की संकीर्ण राजनीति को खत्म करने की भी बात कही।

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बसपा की रणनीति के मुख्य बिंदु:

  • योगी सरकार पर तीखे हमले: बसपा अब योगी सरकार की नीतियों और कार्यों की आलोचना करेगी।
  • सपा का जिक्र, कांग्रेस गायब: मायावती ने सपा का नाम लिया, लेकिन कांग्रेस का जिक्र तक नहीं किया, जिससे भाजपा के प्रति नरम रुख के आरोपों को खारिज करने का संकेत मिलता है।
  • कैडर वोट पर ध्यान: पार्टी अपने कैडर वोट को सहेजने के लिए संगठन को मजबूत करेगी।
  • भाजपा विरोधी रणनीति में आगे निकलना: बसपा अन्य विपक्षी दलों की भाजपा विरोधी रणनीति में आगे निकलने का प्रयास करेगी।
  • वंचित वर्ग के वोटों पर पकड़: पार्टी वंचित वर्ग के वोटों पर पकड़ बनाने के लिए सक्रिय रहेगी।
  • ‘कर्म को धर्म’ का पालन: मायावती ने भाजपा सरकारों से ‘धर्म को कर्म’ के बजाय ‘कर्म को धर्म’ मानने का आह्वान किया।
  • द्वेष और विभाजन की राजनीति का विरोध: बसपा द्वेष और विभाजन की राजनीति को खत्म करने की बात कर रही है।
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