आगरा: जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार और सदस्य राजीव सिंह ने नील इंफ्रास्ट्रक्चर बिल्डर कंपनी को ब्याज सहित 10 लाख रुपए लौटाने के आदेश दिए हैं। यह आदेश एक उपभोक्ता, अशोक कुमार, निवासी देवरी रोड शंकर विहार कॉलोनी, आगरा द्वारा दायर किए गए मामले में दिया गया।
क्या है मामला?
अशोक कुमार ने सन 2015 में नील इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ एक फ्लैट खरीदने का सौदा किया था। फ्लैट की कीमत 40 लाख रुपए तय की गई थी, जिसके एवज में अशोक कुमार ने 10 लाख रुपए का चेक बिल्डर को एडवांस के रूप में दिया। बिल्डर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि फ्लैट डेढ़ साल के भीतर तैयार हो जाएगा और शेष रकम किस्तों में दी जाएगी। लेकिन समय बीतने के बावजूद फ्लैट नहीं बना और न ही बिल्डर ने कोई ठोस जवाब दिया।
अशोक कुमार को बिल्डर की ओर से केवल आश्वासन ही मिलता रहा और उन्हें फ्लैट का कोई टेम्पोरल वितरण नहीं हुआ। जब उन्होंने बिल्डर से फ्लैट की स्थिति के बारे में पूछा तो उसने फ्लैट देने में आनाकानी की और पैसा वापस करने से भी इंकार कर दिया।
मामले की सुनवाई
फरवरी 2022 में, अशोक कुमार ने जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग प्रथम में इस मामले की शिकायत की। उन्होंने अपने आवेदन में बताया कि न केवल बिल्डर ने वादा किए गए फ्लैट को नहीं दिया बल्कि वह पैसे लौटाने में भी टाल-मटोल कर रहा था।
इस मामले की सुनवाई के बाद आयोग ने बिल्डर की ओर से की गई लापरवाही और उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी को गंभीरता से लिया। आयोग ने नील इंफ्रास्ट्रक्चर बिल्डर को आदेश दिया कि वह अशोक कुमार को 10 लाख रुपए, जो कि फ्लैट के लिए एडवांस के रूप में दिए गए थे, ब्याज सहित लौटाए।
आयोग का निर्णय
आयोग के अध्यक्ष सर्वेश कुमार और सदस्य राजीव सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा कि उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी करना और उसका पैसा वापसी न करना कानूनन गलत है। उन्होंने बिल्डर से यह भी कहा कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया तो और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा, उन्होंने बिल्डर को यह भी निर्देश दिया कि वह 10 लाख रुपए के साथ ब्याज भी अशोक कुमार को वापस लौटाए। इस फैसले के बाद उपभोक्ता को न्याय मिला और बिल्डर को अपनी गलती का अहसास हुआ।
उपभोक्ताओं के लिए संदेश
यह फैसला उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि यदि उन्हें किसी बिल्डर या सेवा प्रदाता से धोखाधड़ी का सामना करना पड़ता है तो वे उपभोक्ता आयोग में अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आयोग उपभोक्ताओं के हक की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार है।